रिपोर्ट में पहली बार यह भी बताया गया है कि 2030 से पहले ऐसा एक साल आ सकता है जब तापमान औद्योगिक युग से 2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो – वैज्ञानिकों ने इस संभावना को “चौंकाने वाला” बताया है।
पिछले दस साल अब तक के सबसे गर्म साल रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि अगर इंसान तेल, गैस, कोयला और लकड़ियाँ जलाना बंद नहीं करते, तो इससे मानव स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और प्रकृति पर बड़ा खतरा मंडरा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार:
- 2025 से 2029 के बीच तापमान औसतन 1.5°C से अधिक रहने की 70% संभावना है।
- 1.5°C की सीमा अगले पाँच सालों में कम से कम एक बार पार हो जाने की 86% संभावना है, जो 2020 में सिर्फ 40% थी।
- 2024 में पहली बार सालाना औसत तापमान ने 1.5°C की सीमा को पार किया।
- 2°C तापमान बढ़ने की संभावना अभी बहुत कम (1%) है, लेकिन अब यह असंभव नहीं मानी जा रही।
यह रिपोर्ट दुनिया भर के 15 संस्थानों के 220 जलवायु मॉडल्स पर आधारित है, जिनमें UK का Met Office और कनाडा तथा जर्मनी के जलवायु अनुसंधान केंद्र शामिल हैं।
Met Office के एडम स्केफ ने कहा, “यह चौंकाने वाला है कि 2°C अब संभव दिख रहा है। अभी यह 1% है, लेकिन जैसे-जैसे जलवायु गर्म होती जाएगी, यह संभावना बढ़ेगी।” प्रभाव सब जगह एक जैसे नहीं होंगे:
- आर्कटिक क्षेत्र की सर्दियाँ वैश्विक औसत से 3.5 गुना तेजी से गर्म होंगी।
- अमेज़न वर्षावन में अधिक सूखा पड़ेगा।
- दक्षिण एशिया, साहेल (अफ्रीका) और उत्तरी यूरोप, जैसे कि UK में, बारिश अधिक होगी।
रिपोर्ट तैयार करने वाले वैज्ञानिक
लियोन हरमैनसन के अनुसार,
2025 अब तक के तीन सबसे गर्म सालों में शामिल हो सकता है।
WMO के जलवायु सेवा निदेशक क्रिस ह्यूइट ने कहा कि यह रिपोर्ट गर्मी और मानव स्वास्थ्य के लिए चिंता की तस्वीर पेश करती है, लेकिन अगर हम फॉसिल फ्यूल (कोयला, तेल, गैस) के उत्सर्जन में कटौती करें, तो तापमान को सीमित करना अब भी संभव है।
उन्होंने कहा, “हमें जलवायु के लिए कदम उठाने होंगे। 1.5°C अपरिहार्य नहीं है।”