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पिता के सख्त अनुशासन ने प्यार मोहब्बत का मौका ही नहीं दिया

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा से फोन पर हॉट-टॉक को लेकर ये बोले आइपीएस भुवन भूषण यादव

सीकरJul 05, 2025 / 11:31 pm

Rudresh Sharma

आइपीएस अ​धिकारी (डीआईजी) भूवन भूषण यादव

पिता के सख्त अनुशासन से कभी प्यार-मोहब्बत के बारे में सोचने की हिम्मत ही नहीं हुई। बचपन से ही सिविल सेवा में जाने का जुनून ऐसा था कि तीन बार आरएएस में चयन के बाद आ​खिर वह दिन आ गया जब यूपीएससी में सफलता मिल गई। यह कहना है 2011 बैच के आइपीएस अ​धिकारी (डीआईजी) भूवन भूषण यादव का। सीकर में बतौर पुलिस अधीक्षक तैनात यादव ने राजस्थान पत्रिका से खास मुलाकात में जीवन के कई अनछुए पहलुओं पर खुलकर बातचीत की। जानिए कैसे एक इंजीनियर भारतीय पुलिस सेवा में चयनित होकर डीआइजी के पद तक पहुंचा।

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सवाल : आप तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, सिविल सर्विसेज में कैसे आए ?

जवाब : मेरे नाना एडीएम और पिता लेक्चरर रहे हैं। मेरा बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना था। हां, मैंने इलेक्ट्रिकल ब्रांच में बीटेक की है, लेकिन कभी इंजीनियरिंग को कॅरियर के रूप में नहीं चुना और ना ही कभी जॉब की। बीटेक करते ही सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। सबसे पहले 2007 में आरटीएस बना और 2008 में आरटीएस की ट्रेनिंग के दौरान ही बीडीओ में नंबर आ गया। इसके बाद 2010 में आरएएस में चयन और फिर 2011 बैच में सिविल सर्विसेज में चयन हो गया।

सवाल : आपकी पत्नी भी आइएएस अ​धिकारी हैं, ये जोड़ी कैसे बनी ?

जवाब : कई लोगों को लगता है कि हमारी लव मैरिज है, लेकिन यह बिल्कुल गलत है। शादी से पहले हम एक दूसरे को जानते तक नहीं थे। घर में मेरे पिता का अनुशासन इतना सख्त रहा कि कभी प्यार व्यार के बारे में सोचने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाए। सामान्य परिवाराें की तरह ही हमारी अरेंज मैरिज हुई है। मेरी पत्नी नमृतावृष्णि (बीकानेर कलक्टर) सिविल सेवा में मेरे से दो साल जूनियर है।

सवाल : फुर्सत में क्या करना पसंद है, खुद को फिट कैसे रखते हैं ?

जवाब : पहले की तुलना में दिनचर्या काफी व्यस्त है और अभी मैं ज्यादा फिट नहीं हूं। लेकिन मैं दौड़ना, टेनिस खेलना नहीं छोड़ता। वहीं टेबल टेनिस, चैस खेलने के साथ समय मिलता है तो कभी-कभार टीवी देखता हूं। गाने सुनता हूं।

सवाल : बतौर पुलिस अधीक्षक सबसे बढ़िया समय कब निकला ?

जवाब : राजसमंद एसपी रहते हुए मैं तीन साल प्रकृति व परिवार के नजदीक रहा। पत्नी नम्रता डूंगरपुर जिला परिषद में सीईओ थीं, ऐसे में उनके पास भी अधिक वर्कलोड नहीं था, बेटी छोटी थीं, ऐसे में बेटी के साथ भी काफी समय बिताया। अब तक के सर्विस पीरियड में राजसमंद ही सबसे ज्यादा यादगार रहा है।

सवाल : मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने के मामले में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष से फोन पर हॉट टॉक काफी वायरल हुई ?

जवाब : काले झंडे दिखाने का मामला लॉ एंड ऑर्डर के साथ ही सुरक्षा से जुड़ा बहुत ही संवेदनशील विषय था। पुलिस ने इसे बहुत गंभीरता से लिया और कार्रवाई की। डोटासरा की अपनी मजबूरी थी, उन्हें कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करना था। मेरे प्रति उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है।

सवाल : सर्विस के दौरान सबसे चैलेंजिंग व टफ टास्क किसे मानते हैं ?

जवाब : पुलिस अधीक्षक, उदयपुर रहते हुए बोहरा समाज की दो बुजुर्ग बहनों के ब्लाइंड मर्डर को कुछ ही दिनों में खोल दिया था। मृतका की बहन के बेटे की बहू मारिया ने पैसों के लालच में हत्या की थी। इस मामले को खाेलने में एक कांस्टेबल की मुख्य भूमिका रही। आरोपी महिला भागने की फिराक में थी, वह दुबई में अपने पति के पास चली जाती तो मामला नहीं खुल पाता। वहीं सीकर में पिछले दो साल से खाटूश्यामजी मेला की व्यवस्थाएं भी सबसे चैलेंजिंग रही। हर दिन लाखों श्रद्धालुओं के दर्शनों में किसी भी प्रकार का व्यवधान नहीं हो और मेला शांति से हो, इसके लिए दिन-रात पुलिस अधिकारियों व जवानों के साथ जुटे रहे।

सवाल : पुलिस के लिए सबसे ज्यादा कौनसे अपराध को हल करना चुनौतीपूर्ण है ?

जवाब : पुलिस के लिए सबसे ज्यादा चैलेंजिंग साइबर अपराध को रोकना है। सिम किसी राज्य की, बैंक खाता किसी अन्य राज्य का और पैसा और कोई साइबर अपराधी किसी तीसरे ही राज्य में निकाल रहा है। ऐसे में यदि गोल्डन ऑवर्स में खाता सीज नहीं किया जाए तो पुलिस के लिए काफी मुश्किल होता है। हालांकि अब देश के सभी राज्य इसके लिए कंबाइंड वर्क कर रहे हैं। प्रदेश के हर जिले में एक-एक साइबर थाना व साइबर सेल कार्यरत है। केंद्र सरकार ने भी विभिन्न नेटवर्क व हेल्प डेस्क तैयार कर दी है। अब साइबर अपराध को सुलझाने में एआई सहित अन्य संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

सवाल : युवा शॉर्टकट से पैसा कमाने के फेर में बदमाशों को आइडियल मान रहे हैं ?

जवाब : युवा शॉर्टकट के बजाय हायर स्टडी कर अच्छी नौकरी पाएं या अपना कोई छोटा का व्यवसाय शुरू करें। मोबाइल व इंटरनेट सर्फिंग, साइबर अपराधों से दूर रहें और बदमाशों, हिस्ट्रशीटर को अपना इंस्पिरेशन नहीं बनाएं। अपराधी का जीवन छोटा होता है और वह भी उसे जेल में ही बिताना पड़ता है। ऐसे में अपराध करके कमाया गया पैसा व संसाधन उसके जीवन में काम नहीं आते, यही नहीं अपराधी के परिवार व रिश्तेदारों को भी उसके अपराध का खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसे में सही मार्ग पर चलें और बदमाशों के बजाय सही लोगों का ही साथ दें।

सवाल : कामकाज में राजनीतिक दखल कितना रहता है ?

जवाब : मैं गलत काम नहीं करता और ना ही किसी प्रकार की आशा रखता हूं। यदि आप सही हैं और किसी जगह विशेष पर पोस्टिंग में आपकी व्यक्तिगत रूचि नहीं है तो कोई भी राजनेता या अधिकारी आपसे गलत काम नहीं करवा सकता। साथ ही वे लोग आप पर किसी तरह का प्रेशर नहीं बना सकते। मैं जहां भी तबादला होता है, वहीं चला जाता हूं। पुलिस जवान से लेकर पुलिस अधिकारियों का निजी जीवन नहीं होता है, वे परिवार को कम समय दे पाते हैं या यूं कहें कि वे सार्वजनिक जीवन जीते हैं और आम जनता के लिए चौबीस घंटे तैयार रहते हैं।

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