scriptमजदूरों का अकाल राहत का गेहूं गबन करने वाले तीन अभियुक्तों को तीन-तीन साल की सजा | Two managers and a firm operator who embezzled wheat worth crores of rupees meant for famine relief for laborers have been sentenced to three years each. Three accused who embezzled wheat worth crores of rupees meant for famine relief for laborers have been sentenced to three years each. Two managers and a firm operator who embezzled wheat worth crores of rupees meant for famine relief for laborers have been sentenced to three years each. | Patrika News
सीकर

मजदूरों का अकाल राहत का गेहूं गबन करने वाले तीन अभियुक्तों को तीन-तीन साल की सजा

-न्यायालय ने एसीबी को कहा केशबुक की गहन जांच करें, यह घोटाला बिना किसी नेटवर्क के संभव नहीं
– 22 साल पुराने एफसीआई गेहूं घोटाले मामले की जांच एसीबी ने कर चालान पेश किया था

सीकरJun 05, 2025 / 12:05 am

Yadvendra Singh Rathore

District and Session Court

प्रतिकात्मक तस्वीर

सीकर. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीकर के न्यायाधीश विकास कुमार स्वामी ने 22 साल पुराने एफसीआई गेहूं घोटाले मामले में तीन आरोपियों को 3-3 साल की सजा सुनाई है। तीनों आरोपियाें पर 10-10 हजार रुपए जुर्माने भी लगाया है। फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार लिमिटेड, सीकर की ओर से गरीबों के लिए आवंटित गेहूं को तीनों आरोपियों ने कागजों में घपला कर गेहूं को सीकर शहर व फतेहपुर कस्बे की आटा मिलों में बेचकर करीब 78 लाख रुपए का गबन किया था। न्यायालय ने एसीबी को निर्देश दिया कि मामले में लोक सेवकों की भूमिका और दो नंबर की केशबुक की गहन जांच की जाए, क्योंकि यह घोटाला बिना किसी नेटवर्क के संभव नहीं है।
अभियोजन अधिकारी व सरकारी वकील विजयानंद थलिया ने बताया कि 13 जून 2003 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो झुंझुनूं कैंप, सीकर को शिकायत मिली थी कि फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार लिमिटेड, सीकर द्वारा एफसीआई से बीपीएल, एपीएल और सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों के लिए आवंटित गेहूं को घपला कर बाजार में आटा मिलों में बेचा जा रहा है। फर्जी रजिस्टर प्रविष्टियों और हस्ताक्षरों के जरिए यह गेहूं ब्लैक मार्केट में पहुंचाया गया। गरीबों के करीब 78 लाख रुपए के गेहूं को इसकी रखवाली करने वाले व इसे गरीबों में बांटने वाले दो व्यवस्थापक व एक कार्मिक गबन कर डकार गए थे।
एसीबी ने गोपनीय सूचना के आधार पर 13 जून 2003 को संस्था के फतेहपुर और सीकर कार्यालयों का औचक निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि संस्था ने रामेश्वरलाल रामनिवास फर्म, मनीष फ्लोर मिल, जांगिड़ फ्लोर मिल, छीतरमल फ्लोर मिल, पारीक फ्लोर मिल और लाला फ्लोर मिल को गेहूं बेचा है। रिकॉर्ड में 77,38,871 रुपए की गेहूं बिक्री की एंट्री दो नंबर की केशबुक में दर्ज थी। इसके अलावा, जिला रसद अधिकारी और अन्य अधिकारियों को 65 हजार रुपए रिश्वत और एक नोकिया मोबाइल देने के सबूत भी मिले।

मजदूरों के कूपनों का गेहूं आटा मिलो को बेचा था-

निरीक्षण में फतेहपुर कार्यालय से हजारों खाली अकाल राहत कूपन बरामद हुए थे। इन कूपनों से श्रमिकों को गेहूं वितरण करना था लेकिन मजदूरों के गेहूं को व्यवस्थापक घपला कर डकार गए। ये हजारों कूपन संस्था के व्यवस्थापक सुशील कुमार की पत्नी माया देवी की उचित मूल्य की दुकान से मिले थे, जो फर्जी समायोजन का हिस्सा थे। रामेश्वरलाल-रामनिवास के गोदाम से 108 बोरी एफसीआई गेहूं (2003-04 मार्का) जब्त किया गया, जिसका फर्म मालिक ओमप्रकाश अग्रवाल कोई जवाब नहीं दे सका था। एसीबी ने हरिराम, सुशील कुमार और ओमप्रकाश अग्रवाल के खिलाफ रानोली थाने में मामला दर्ज किया। जांच में कई अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी।

आरोपियों ने विरोध में प्रार्थना पत्र दिया जिससे 21 साल अटका मामला-

आरोपियों ने मामले के विरोध में कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था, जिसके चलते मामल की सुनवाई में देरी हुई। जिसके कारण 21 साल तक किसी भी गवाह के बयान नहीं हो पाए। एक साल में ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 47 गवाह, 293 दस्तावेज और 149 साक्ष्य पेश किए गए। सबूतों और गवाहों के आधार पर न्यायालय ने फतेहपुर महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार के व्यवस्थापक हरिराम 55 वर्ष पुत्र गिदाराम निवासी बीबीपुर बड़ा फतेहपुर और दूसरे व्यवस्थापक सुशील कुमार 57 वर्ष पुत्र मगनलाल शर्मा निवासी बीबीपुर हाल वार्ड नंबर 27, घोड़े की कब्र के पास फतेहपुर और फर्म संचालक ओमप्रकाश 57 वर्ष पुत्र रामेश्वरलाल निवासी दीवानजी की नसिया जाट बाजार सीकर को दोषी ठहराया। न्यायालय ने तीनों को 3-3 साल की सजा सुनाई।

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