बता दें, करीब 10 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद गुरुवार सुबह दोनों के शव बाहर निकाले गए। इस घटना ने क्षेत्र में अवैध खनन की गंभीर समस्या को फिर से उजागर कर दिया है।
खदान में कैसे हुआ हादसा?
बता दें, हादसा बुधवार शाम करीब 6 बजे दादिया गांव के पास चारागाह भूमि पर स्थित एक अवैध क्वार्ट्ज-फेल्सपार खदान में हुआ। यह खदान 150 से 200 फीट गहरी थी और लंबे समय से अवैध रूप से संचालित हो रही थी। दोनों श्रमिक क्रेन की मदद से खदान में सफेद पत्थर निकालने के लिए नीचे उतरे थे। इसी दौरान अचानक सैकड़ों टन पत्थर और मिट्टी का मलबा ढह गया, जिसके नीचे दोनों दब गए। मलबे के साथ क्रेन का अगला हिस्सा भी टूट गया। बताया जाता है कि अवैध ब्लास्टिंग के कारण खदान की संरचना कमजोर हो गई थी, जिससे यह हादसा हुआ।
रेस्क्यू ऑपरेशन में हुई देरी
हादसे की सूचना मिलने के बाद स्थानीय ग्रामीण मौके पर जमा हो गए। शुरुआत में वहां मौजूद मजदूरों और खान संचालक ने शवों को निकालने की कोशिश की, लेकिन गहराई अधिक होने के कारण वे असफल रहे। बागोर पुलिस को सूचना देने के बावजूद पुलिस मौके पर तीन घंटे बाद पहुंची। अजमेर से बुलाई गई राज्य आपदा प्रबंधन (SDRF) की टीम भी रात 12 बजे पहुंची। रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए हाइड्रोलिक क्रेन मंगवाई गई, लेकिन गहराई के कारण शुरुआत में सफलता नहीं मिली। गुरुवार सुबह 6 बजे उदयराम भील का शव और सुबह 9 बजे राजकुमार जाट का शव निकाला गया। दोनों शवों को भीलवाड़ा जिला अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखवाया गया है।
अवैध खनन पर फिर उठे सवाल
बता दें, यह हादसा क्षेत्र में अवैध खनन की गंभीर समस्या को उजागर कर रहा है, लेकिन जिम्मेदार अभी भी आंख मूंदे हुए हैं। दादिया गांव के आसपास कई जगहों पर अवैध खनन हो रहा है, जिसकी जानकारी खनिज, राजस्व और पुलिस विभाग को होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। बागोर थाना प्रभारी भंवरलाल ने बताया कि गहराई अधिक होने के कारण रेस्क्यू में चुनौतियां आईं। इस घटना ने प्रशासन की लापरवाही और अवैध खनन पर रोकथाम की कमी को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है।