इन 20 लोगों को किया गया बरी
दरअसल, कोर्ट में चालान पेश होने के बाद सुनवाई करते हुए अंततः एडीजे कोर्ट नंबर-1 ने सांसद अमराराम, पेमाराम, बलवान पूनिया, हरफूल बाजिया, कय्यूम कुरैशी, रूडसिंह महला, जयप्रकाश पूनिया, सत्यजीत भींचर, महावीर मुंडवाड़ा, आबिद, सुभाष जाखड़, सागर, उस्मान, सुरेश बगड़िया, सुभाष नेहरा, विजेंद्र ढाका, बनवारी, रामप्रसाद, किशन लाल और भागीरथ को बरी कर दिया। फैसले के बाद सांसद अमराराम ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव में प्रशासन ने सरकार के इशारे पर धांधली की थी। इसके खिलाफ संगठनों ने मिलकर विरोध किया, लेकिन उन पर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए। कोर्ट का यह फैसला लोकतंत्र की जीत है। यह मामला राजस्थान की सियासी और छात्र राजनीति में काफी चर्चित रहा था।
ये था सड़क जाम का पूरा मामला
एडवोकेट झाबरमल रॉयल ने बताया कि 17 सितंबर 2019 को तत्कालीन कोतवाली थानाधिकारी श्रीचंद ने मामला दर्ज कराया था। उनके अनुसार, 28 अगस्त 2019 को कल्याण बालिका महाविद्यालय, सीकर में छात्रसंघ चुनाव की मतगणना के दौरान एसएफआई की छात्राओं ने धरना-प्रदर्शन किया था। छात्राओं ने कॉलेज के प्रिंसिपल को निलंबित करने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने सड़क जाम कर दी थी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया। इस कार्रवाई के विरोध में 16 सितंबर 2019 को सांसद अमराराम, उनके भाई और पूर्व विधायक पेमाराम, पूर्व भादरा विधायक बलवान पूनिया, किशन पारीक, सुभाष नेहरा, रूडसिंह महला, हरफूल बाजिया, भागीरथ नेतड़ सहित अन्य नेताओं ने कृषि मंडी में सभा की। इसके बाद रैली निकालकर कल्याण सर्किल से कलेक्ट्रेट पहुंचे और सड़क जाम कर दी।
प्रदर्शन में करीब 1000 लोग शामिल हुए
इस प्रदर्शन में एसएफआई, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, जनवादी नौजवान सभा और किसान संगठनों से जुड़े करीब 800 से 1000 लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कार्रवाई में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। पुलिस और प्रशासन ने समझाइश की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने और दो दिन तक सड़क जाम रखी। इस दौरान लाउडस्पीकर पर भाषणबाजी और नारेबाजी हुई, साथ ही पुलिस पर अभद्र टिप्पणी के भी आरोप लगे। इसके बाद 17 सितंबर 2019 को पुलिस ने केस दर्ज किया और 20 लोगों को आरोपी बनाया था।