खाटूश्यामजी: रेलवे लाइन के विरोध में बनी संघर्ष समिति, आंदोलन की चेतावनी; ये हैं किसानों की मुख्य आपत्तियां
श्याम नगरी में प्रस्तावित रींगस-खाटू रेलवे लाइन को लेकर विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। किसानों ने एक स्वर में ऐलान किया कि यदि उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं।
खाटूश्यामजी. रेलवे लाइन के विरोध में बैठक करते प्रभावित किसान। Patrika
खाटूश्यामजी। श्याम नगरी में प्रस्तावित रींगस-खाटू रेलवे लाइन को लेकर विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। शुक्रवार को गोयल धर्मशाला में क्षेत्रीय नेताओं और प्रभावित किसानों की बैठक हुई, जिसमें इस प्रोजेक्ट को जन विरोधी बताते हुए ‘रेल हटाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति’ का गठन किया गया।
बैठक में किसानों ने केंद्र सरकार से इस परियोजना को तत्काल निरस्त करने की मांग की। उनका कहना है कि रेलवे विभाग ने बिना स्थानीय जनता और किसानों की राय लिए रींगस से खाटू रेलवे लाइन का प्रस्ताव पास कर दिया है, जो कई दृष्टिकोण से नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है।
खाटू स्टेशन की संभावित जगह मंदिर से बेहद करीब
खाटू स्टेशन की संभावित जगह मंदिर से बेहद करीब है, जिससे यहां आने-जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ में अफरा तफरी और भगदड़ जैसे हालात बन सकते हैं। रेलवे लाइन के मार्ग में कई गांव और सड़कें आती हैं, जिससे हर समय यातायात प्रभावित रहेगा और जाम की स्थिति बन सकती है।
वर्तमान में श्रद्धालु रींगस रेलवे स्टेशन से वाहनों से मंढा, शाहपुरा और लांपुवा मार्ग से सुगमता से खाटू पहुंचते हैं, जिससे भीड़ नियंत्रण में रहती है। 17 किमी दूरी पर पहले से रींगस स्टेशन उपलब्ध है, ऐसे में एक और लाइन बिछाने की कोई तात्कालिक आवश्यकता नहीं है।
वैकल्पिक सुझाव बैठक में मौजूद किसानों और नेताओं ने सुझाव दिया कि यदि रेलवे स्टेशन बनाना ही है तो रींगस से पलसाना होकर सुंदरपुरा गांव में ‘खाटूश्यामजी रेलवे स्टेशन’ नाम से बनाया जाए। यह स्थान खाटू से महज 10 किमी दूर है, वहां पर्याप्त भूमि उपलब्ध है और किसान भी प्रभावित नहीं होंगे।
संघर्ष की चेतावनी किसानों ने एक स्वर में ऐलान किया कि यदि उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं। बैठक में कैलाश बाजिया, गोविंद सिंह लांबा, छोटूराम शेरावत, कालूराम स्वामी, भागीरथ लील, श्यामलाल, सागरमल जिंजवाड़िया, रूप सिंह, मुकेश डूडी, मनोज जांगिड़ सहित अनेक किसान उपस्थित रहे।