कथा में प्रगटे कान्हा, नंद के आनंद भयो का जयघोष…. रैवासा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में कान्हा प्रगट उत्सव हुआ। यहां आचार्य इन्द्रेश उपाध्याय ने जन्माष्टमी महापर्व को लेकर प्रवचन देते हुए कथा सुनाई तो भक्त जयघोष करने लगे। कथा में बताया कि राम राम भगवान ने जनक नंदिनी सीता से बांसुरी बजाना सीखा तथा राम ने जानकी को वीणा वादन सिखाए जब दोनों ने एक दूसरे को सीखी हुई कला दिखाने को कहा तो उस समय तो उन्होंने एक दूसरे को वह नहीं दिखाई लेकिन बाद में कृष्ण के रूप में बांसुरी बजाकर वही विद्या प्रसिद्ध हुई। इस प्रकार राधा रुक्मणी के रूप में वीणा वादन प्रसिद्ध हुआ।
ऐसा होना चाहिए सास-ससुर-बहू का रिश्ता आचार्य इंद्रेश ने बताया कि जानकी इतनी कोमल थी कि अयोध्या का पानी भी उन्हें भारी लग रहा था तो दशरथ जी ने उनकी इस पीड़ा को समझते हुए तुरंत मिथिला से अन्न-जल की व्यवस्था करने के लिए हाथी घोड़े और वहां लगा दिए। राजाजनक ने भी विशाल ह्दय वाले थे उन्होंने केवल सीता के लिए नहीं संपूर्ण अयोध्या के लिए अन्न-जल व्यवस्था करवा दी। इससे हमें प्रेरणा मिलती है कि, सास-ससुर का व्यवहार बहू के प्रति कैसा होना चाहिए। बेटी के माता-पिता का व्यवहार भी उसके ससुराल पक्ष के प्रति अत्यंत सम्मान का होना चाहिए।