इस तरह एसीबी ने की कार्रवाई
जयपुर ग्रामीण एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील सिहाग ने बताया कि परिवादी ने शिकायत दर्ज की थी कि उसकी फर्म ने सीकर के देवास गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में अतिरिक्त कमरों का निर्माण कार्य किया था। इस कार्य की बकाया राशि 27 लाख रुपये को बिल पास करने की एवज में सहायक अभियंता खुमाराम ने 60 हजार रुपये और लेखाधिकारी रामचंद्र ने 45 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। परिवादी की शिकायत के बाद एसीबी ने मामले का सत्यापन किया और योजना बनाकर कार्रवाई को अंजाम दिया। एसीबी की टीम ने गुरुवार को एक सुनियोजित ट्रैप ऑपरेशन के तहत कमल कुमार कुमावत को 60 हजार रुपये और रामचंद्र को 40 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। सूत्रों के अनुसार, कार्रवाई की भनक लगते ही खुमाराम मौके से फरार हो गया। एसीबी ने उसके ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है और उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
ई-मित्र केंद्र संचालक भी शामिल
जांच में पता चला कि कमल कुमार कुमावत सीकर में एक ई-मित्र केंद्र संचालित करता है और विभाग से जुड़े ऑनलाइन टेंडर जैसे कार्यों में भी शामिल रहा है। इस दौरान वह सहायक अभियंता खुमाराम और अन्य अधिकारियों के संपर्क में था। कुमावत की इस तरह की गतिविधियों में संलिप्तता ने उसे रिश्वतखोरी के इस मामले में मुख्य दलाल के रूप में सामने लाया। वहीं, लेखाधिकारी रामचंद्र की भूमिका भी बिल पास करने की प्रक्रिया में रिश्वत मांगने की रही, जिसने समग्र शिक्षा अभियान जैसे महत्वपूर्ण शैक्षिक प्रोजेक्ट की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। एसीबी के अनुसार, यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है। एएसपी सिहाग ने बताया कि परिवादी की शिकायत के बाद सत्यापन प्रक्रिया में रिश्वत की मांग की पुष्टि होने पर त्वरित कार्रवाई की गई। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।