आपको बता दें कि, इस घोटाले में 47 मृतकों के नाम पर बार-बार फर्जी मृत्यु दावा दर्ज कराकर शासन से स्वीकृत राशि का गबन किया गया है। इस गबन की कुल राशि 11 करोड़ 26 लाख रुपए बताई जा रही है। आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश सरकार सांप के काटने से मृत्यु होने पर मृतक क परिजन को 4 लाख रुपए मुआवजा राशि प्रदान करती है।
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रमेश नाम के शख्स को एक-दो नहीं, बल्कि 30 बार अलग-अलग दस्तावेजों के जरिए मृत बताया गया, वो भी हर बार सांप के काटने से। ऐसा करके भ्रष्ट अधिकारियों ने एक नाम के दस्तावेजों का हवाला देकर 1 करोड़ 20 लाख रुपए का गबन कर लिया। यही नहीं, रामकुमार नाम के शख्स को 19 बार मरा हुआ बताकर 38 फर्जी रिकॉर्ड के जरिए लगभग 81 लाख रुपए गबन कर लिए।
एक ही रिकॉर्ड से बार-बार दावे कराकर बिल बनाए गए
इन नामों पर मृत्यु दावा और फसल क्षतिपूर्ति के आधार पर एक ही रिकॉर्ड को बार-बार संशोधित कर नए बिल तैयार किए गए और शासन की राशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कराया गया। बताया जा रहा है कि ये घोटाला साल 2019 से शुरू हुआ और 2022 तक जारी रहा। यानी कमलनाथ सरकार में शुरू हुआ भ्रष्टाचार का सिलसिला शिवराज सरकार तक जारी रहा। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 से 2022 के बीच यानी दो साल में मध्यप्रदेश सरकार ने सांप के काटने पर 231 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा था। इन दो वर्षों में 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
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इस घोटाले को एक नहीं, बल्कि कई कर्मचारी और अधिकारियों ने मिलकर किया। आरोपी सहायक ग्रेड 3 सचिन दहायक ने तहसील और जिला स्तर पर मौजूद अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से शासन के वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (IFMS) को गुमराह किया। जांच में पता चला कि, मृत व्यक्तियों के नाम पर बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन और पीएम रिपोर्ट के भी बिल पास किए जाते रहे। मामले की खास बात ये है कि, इस मामले में सहायक ग्रेड 3 सचिन दहायक के साथ 46 अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनमें तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह और पांच तहसीलदारों की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई है।
जांच के दौरान ये भी सामने आया कि, इन अफसरों की आईडी और अधिकारों का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए और उसी आधार पर कोषालय स्तर से भुगतान भी पास हुआ। जांच अधिकारी के मुताबिक, मुख्य आरोपी ने अपने परिवार, दोस्तों और जान-पहचान वालों के खातों में राशि ट्रांसफर की। जांच रिपोर्ट में ये साफ हुआ कि, शासन की राशि सीधे लाभार्थी खातों में न जाकर, निजी खातों में पहुंचाई गई। इससे साफ है कि ये गबन सुनियोजित और संगठित तरीके से किया गया।
वित्त विभाग की विशेष टीम की जांच में खुलासा
जबलपुर संभाग के वित्त विभाग की विशेष टीम की जांच में इसका खुलासा हुआ। जांच अधिकारी संयुक्त संचालक रोहित सिंह कौशल ने बताया कि, ये रिपोर्ट अब सिवनी कलेक्टर को भेजी गई है, जो आगे की कार्रवाई करेंगे। अभी तक इस पूरे मामले में सिर्फ एक ही गिरफ्तारी सहायक ग्रेड 3 सचिन दहायक की गई है, जबकि अन्य आरोपियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।