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सीहोर

ये क्या? पं.मिश्रा ने गंदे पानी से कराया भोले का अभिषेक, सीवन नदी में मिले मल वाले बैक्टीरिया, पत्रिका की जांच में खुलासा

mp news: पत्रिका की जांच में खुलासा हुआ कि पं. प्रदीप मिश्रा ने कांवड़ यात्रा में सीवन नदी के अशुद्ध पानी से भोले का अभिषेक कराया, जिसमें मल वाले बैक्टीरिया खतरनाक स्तर पर मिले। (kubereswar dham)

सीहोरAug 13, 2025 / 08:59 am

Akash Dewani

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(फोटो- सोशल मीडिया)

mp news: सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में पं. प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा में अव्यवस्थाएं और इनके कारण मची भगदड़ में 7 लोगों की मौत की जिम्मेदारी अब तक प्रशासन ने तय नहीं की। यहां सिर्फ अव्यवस्थाएं ही नहीं थीं, बल्कि पं. मिश्रा ने श्रद्धालुओं की आस्था के साथ भी खिलवाड़ किया। पं. मिश्रा ने श्रद्धालुओं से जिस सीवन नदी (siwan river) के जल से बाबा भोले का अभिषेक कराया, वह आचमन के लायक तक नहीं था।

नदी में मिले मल वाले बैक्टीरिया

इस पानी में मानव, पशु मल के अंश में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की भरमार थी। इसका खुलासा लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचई) की लैब की रिपोर्ट में हुआ है। पत्रिका ने 6 अगस्त को कांवड़ यात्रा के बाद 7 अगस्त को सीवन नदी के पानी की पीएचई की लैब में जांच कराई। 14 पैरामीटर पर की गई जांच में सबसे खतरनाक पैरामीटर ई-कोलाई का निकला, जिसे एस्चेरिचिया कोलाई भी कहते हैं। पानी में ई-कोलाई 1000 से ज्यादा मिला है।
लैब एक्सपर्ट बताते हैं, ई-कोलाई 1000 से ज्यादा होना यानी, पानी में बैक्टीरिया ज्यादा है। ई-कोलाई पशु या मानव मल प्रदूषण का संकेत है। पं. मिश्रा ने 6 अगस्त को इसी अशुद्ध पानी से शिव का अभिषेक कराया। खुद भी कांवड़ लेकर निकले। दो लाख कांवड़ियों से भी अभिषेक कराया।

दुकानें और धर्मशाला पर एक साल से नहीं दिया टैक्स

पं. मिश्रा ने कुबेरेश्वर धाम (kubereswar dham) में धर्मशाला, दुकानें आदि बनाई। लेकिन एक साल का संपत्ति कर 4.20 लाख रुपए जमा नहीं कर रहे। कुबेरेश्वर धाम समिति ग्राम पंचायत को बकाया संपति कर देने में आनाकानी कर रही है। संपत्ति कर के लिए पंचायत नापलाखेड़ी नोटिस देन पर प्रबंधन नोटिस लेने से मना कर देता है। पंचायत से से 2013 में निर्माण की अनुमति मांगी थी। 1 लाख वर्गफीट में मंदिर, धर्मशाला, गोशाला, 350 गेस्ट रूम, हॉल, भोजनालय, दुकानें बनाईं। अब जनपद निर्माण कार्य का आकलन करा रही हैं।

सीवन में सीधे मिल रहा शहर का सीवेज

सीवन नदी अस्तित्व खो चुकी है। नगरीय क्षेत्र में इसकी लंबाई करीब 3 किमी है। इसके दोनों किनारे पर आबादी क्षेत्र है। शहर में नदी के ऊपर 7 पुल बने हैं। सीवन का उद्‌गम स्थल धबोटी एवं बमूलिया के पास है। सीहोर शहर के मध्य से निकलकर 19 किमी सफर तय कर यह पार्वती नदी में मिल जाती है। नदी में पानी भगवानपुरा तालाब से आता है।
सीवन के पानी का मुख्य काम शहर के भू-जल स्तर को मेंटेन करना और ईंट उ‌द्योग में उपयोग होता है। इस नदी में करीब 5 जगह पर शहर का सीवेज सीधे मिल रहा है। हाथी घाट के पास से बड़ियाखेड़ी का सीवेज नदी में जा रहा है। कोलीपुरा, गांगा आश्रम, जिला चिकित्सालय का गंदा पानी सीवन नदी में मिल रहा है। चद्दरपुल और बकरीपुल पर के पास कस्बे का सीवेज सीवन नदी में मिल रहा है।

नदी में सीवेज का पानी

सीवन में 5-6 जगह से सीवेज का पानी मिल रहा है। इसे रोका जाना चाहिए। पूर्व नदी के सौंदर्याकरण और उद्धार के लिए कई बार अभियान चलाए गए। इस बार भी गर्मी में अभियान चलाया। नदी का सौंदर्याकरण और गहरीकरण बहुत जरूरी है।- ओमदीप, वरिष्ठ साहित्यकार
नदी में मिल रहे नालों को दुरुस्त करने प्रोजेक्ट बनाया है। नगर पालिका ने 25 करोड़ से प्रोजेक्ट का वर्कऑर्डर दिया है। इससे नदी में सीवेज जाना बंद होगा।- सुधीर कुमार, सीएमओ, नपा

जिम्मेदार पर कार्रवाई से बच रहा प्रशासन

कांवड़ यात्रा के दौरान रुद्राक्ष वितरण काउंटर पर भगदड़ में दो महिलाओं की मौत हुई थी। एक के बाद एक तीन दिन में सात श्रद्धालुओं की जान चली गई। पं. पंडित प्रदीप मिश्रा (pandit pradeep mishra) ने हर साल की तरह इस बार सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर माफी मांगी और पल्ला झाड़ लिया। लेकिन हद यह है कि इन मौतों और अव्यवस्थाओं पर प्रशासन ने किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की।

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