सवाईमाधोपुर। रणथंभौर दुर्ग में एक बार फिर बाघ ने हमला कर एक व्यक्ति की जान ले ली। जानकारी के अनुसार घटना सोमवार तड़के सुबह 4.30 बजे की बताई जा रही है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मृतक राधेश्याम सैनी (60) निवासी शेरपुर खिलचीपुर है। बता दें कि पिछले एक दो दिन से दुर्ग में बाघिन रिद्धि और उसके शावकों का मूवमेंट बना हुआ था।
वन अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह रणथंभौर दुर्ग में मौजूद लोगों ने किसी के चीखने की आवाज सुनी तो इसकी सूचना वन विभाग को पहुंचाई। इस दौरान एक व्यक्ति के लापता होने की जानकारी सामने आई। इसके बाद हरकत में आई वन विभाग की टीम ने ड्रोन के माध्यम से जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया।
सर्च ऑपरेशन के दौरान वन विभाग की टीम को रणथंभौर दुर्ग स्थित जैन मंदिर के पास खून से सने हुए कपड़े मिले। साथ ही मंदिर से करीब 20-30 मीटर दूर बुजुर्ग का क्षत-विक्षत शव मिला, जिसे वन विभाग की टीम ने जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया है।
जैन मंदिर पर चौकीदारी करता था वृद्ध
परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार शेरपुर खिलचीपुर निवासी राधेश्याम सैनी करीब 20 सालों से भी अधिक समय से रणथंभौर दुर्ग स्थित जैन मंदिर में चौकीदारी का कार्य करता था। सुबह से ही वह रणथंभौर दुर्ग से लापता था।
दुर्ग में बना है बाघिन और शावकों का मूवमेंट
रणथंभौर दुर्ग में पिछले करीब ढाई माह से लगातार बाघ-बाघिन और शावकों का मूवमेंट बना हुआ है। वर्तमान में ये शावक करीब डेढ वर्ष के हो चुके हैं, जो इन दिनों हमलावर हैं। रविवार को भी बाघिन रिद्धि और उसके शावकों ने रणथंभौर दुर्ग में डेरा डाल रखा था। अंदेशा है कि हमले में बाघिन और उसके शावक शामिल हो सकते हैं। फिलहाल वन विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
ग्रामीण कार्रवाई व मुआवजे की मांग पर अड़े
हादसे के बाद मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। गुस्साए ग्रामीणों ने गणेशधाम को खोलने का प्रयास भी किया। हालांकि वन विभाग के कर्मचारियों ने ऐसा नहीं करने दिया। इसके बाद ग्रामीण सड़क पर टैंट लगाकर धरना देकर बैठ गए। ग्रामीणों का आरोप था कि वन विभाग की लापरवाही के कारण हादसे हो रहे हैं।
विभाग की मंशा मंदिर को बंद करने की है। ग्रामीण जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की मांग व मुआवजे को लेकर बैठे रहे। इस दौरान वाहनों को डायवर्ट किया गया। मौके पर प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौजूद रहे। शाम तक धरना स्थल पर कृषि मंत्री के आने का भी इंतजार हो रहा था।
गौरतलब है कि पिछले दो महीने में टाइगर के हमले में दो मौतें हो चुकी है। 16 अप्रैल को बाघिन के हमले में सात वर्षीय बालक और 11 मई को रेंजर देवेंद्र चौधरी की जान चली गई थी। रणथंभौर दुर्ग में लगातार टाइगरों का मूवमेंट बना हुआ है। कई बार बाघिन रिद्धि अपने शावकों के साथ नजर आई हैं। रणथंभौर दुर्ग की क्षतिग्रस्त दीवारों की मरम्मत नहीं होने से टाइगरों का दुर्ग में प्रवेश होता रहता है।