विपक्ष नदारद, परिषद में मनमर्जी; सारे एजेंडे पास, मर्यादाएं भी तार-तार!
नगर निगम परिषद के इतिहास में पहली बार: विपक्ष की गैरमौजूदगी में भी जमकर चले जुबानी तीर
कांग्रेस के बायकाट के बाद भी दो कांग्रेसी पार्षद पार्टी लाइन के विपरीत सदन में पहुंचे
सतना। नगर निगम परिषद के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब विपक्ष ने एजेंडे के विरोध में सदन से दूरी बना ली। कांग्रेस के दो पार्षदों को छोड़ नेता प्रतिपक्ष सहित 13 कांग्रेसी पार्षद सदन की कार्यवाही के लिए उपस्थित ही नहीं हुए। इसके बहाने जहां कांग्रेस ने अपने तरीके से निगम परिषद की कार्यप्रणाली को सवालों में लाने की कोशिश की, वहीं विपक्ष की अनुपस्थिति के बाद भी सदन में जमकर हंगामा हुआ। असंसदीय भाषा का उपयोग निर्दलीय और सत्ता पक्ष के पार्षदों ने जमकर किया। पार्षद मीना माधव ने तो यह तक आरोप लगा दिया कि पूरी बैठक में ओबीसीवाद चलाया जा रहा है। हालांकि इसे लेकर कुछ पार्षदों के साथ उनकी तू-तू मैं-मैं जैसी स्थिति बनी। तीखी नोंक झोंक भी हुई। कई बार अध्यक्ष भी अपना संयम खोते दिखे। पार्षद के साथ उनका व्यवहार तल्खी भरा नजर आया। बहरहाल परिषद के सभी 11 एजेंडे पास हो गए।
विपक्ष क्यों अनुपस्थित है? बैठक की शुरुआत में जब सदन समवेत हुआ तो अध्यक्ष ने कोरम की जानकारी ली। इस पर बताया गया कि महापौर सहित 26 सदस्य उपस्थित हैं। लिहाजा, बैठक का कोरम पूर्ण है। इसके बाद बैठक की कार्यवाही प्रारंभ हुई। पहला एजेंडा वार्ड 29 स्थित पार्क का नाम पं. अटल बिहारी पार्क करने का पढ़ा गया। सभी मौजूद सत्ता पक्ष के पार्षदों ने एक स्वर में पास किया। तभी निर्दलीय पार्षद मीना माधव खड़ी हुईं और कहा कि एजेंडे पर आगे बढ़ने से पहले यह जानने की कोशिश की जानी चाहिए कि विपक्ष क्यों अनुपस्थित है? नेता प्रतिपक्ष से बात करनी चाहिए? इस पर सत्ता पक्ष के पार्षदों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया। तब मीना ने कहा कि शहर की समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। न सीवर की बात हो रही न ही नाली व पानी की। विकास के अन्य मुद्दे भी चर्चा में नहीं हैं। सिर्फ नाम बदलने के लिए बैठक बुलाई गई है। तब पार्षद अभिषेक और मनीष टेकवानी विरोध करने लगे। यह देख मीना ने कहा कि उन्हें बोलने का भी अधिकार नहीं है क्या? महिला का सम्मान भी नहीं किया जा रहा है? इस पर मनीष ने कहा कि महिला हैं, इसलिए आपका सम्मान हो रहा है। यह देख मीना माधव तल्ख अंदाज में अध्यक्ष के करीब पहुंच गईं। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि गर्भगृह में आप नहीं आ सकती हैं। अपनी सीट पर जाएं। इसी बीच किसी पार्षद ने कहा कि उठाकर बाहर फेंक देंगे, यही हाल रहा। तब मीना भड़क गईं। कहा कि महिला हैं तो हावी हो रहे हैं। कर दो बाहर, लगाओ पुलिस को फोन।
सत्ता पक्ष के पार्षद ने किया विरोध अध्यक्ष ने प्रस्ताव क्रमांक 2 डालीबाबा चौक का नाम बदलकर संत शिरोमणि नामदेव चौराहा करने का प्रस्ताव पढ़ा। मीना माधव को छोड़ सभी ने पास कर दिया। तब सत्ता पक्ष के पार्षद रमेश शुक्ला ने इसका विरोध करते हुए कहा कि डालीबाबा चौराहे का नाम काफी पहले से संत के नाम पर है। पूरा इलाका जानता है। लिहाजा, इसका नाम न बदला जाए। बाकी जैसी आप लोगों की मर्जी हो। इस पर महापौर ने समझाइश दी और मामला शांत हो गया। इसके बाद हवाई अड्डा तिराहे का नाम भगवान श्री सहस्त्रबाहु महाराज करने, कोलगवां की गलियों के नाम क्रमश: लक्ष्मी नगर गली नं. 1,2,3 रखने, कृपालपुर हरिजन बस्ती का नाम अंबेडकर नगर सेवा बस्ती किए जाने को स्वीकृति दी गई।
सिर्फ पिछड़ावाद चल रहा है अध्यक्ष ने मैत्री पार्क के बगल की गली का नाम नेताजी दयानंद कुशवाहा मार्ग करने का एजेंडा पढ़ा तो मीना माधव खड़ी हो गईं। कहा कि किसी नेता का स्वर्गवास हो जाए तो उसके नाम पर गली चौराहे के नाम रखने की बात हो रही है। पूरा पिछड़ावाद चल रहा है। बाकी जिनके नेता नहीं हैं या अन्य वर्ग के लोगों के नाम पर विचार नहीं हो रहा है। हमने दसों आवेदन दिए। तालाब और गली का नाम संत रविदास, गौतम बुद्ध बिहार करने के लिए, कोई विचार नहीं किया गया। उन्होंने निगम के अधिकारियों के नाम भी गिनाए जिन्हें आवेदन दिया। यह भी कहा कि कलेक्टर को भी दिया। इस पर महापौर ने कहा कि मैं महापौर हूं। मुझे नहीं दिया। कमिश्नर को भी पता नहीं है। तब मीना ने कहा कि निगम में वाद ही चल रहा है। अधिकारी मेरे वार्ड में जाना पसंद नहीं करते। इस पर मनीष टेकवानी कुछ बोलने लगे तो मीना ने कहा कि पहले कांग्रेस में थे तो जबान नहीं खुलती थी। अब भाजपा में आ गए हैं तो जोश मत दिखाएं। इसी दौरान पिछड़ावाद की बात को लेकर पार्षद आदित्य यादव भी भड़क गए। मीना माधव पर वे चीखते नजर आए। तभी पीके जैन भी तल्खी दिखाने लगे। तब मीना ने भी आपा खोते हुए उन्हें मूर्ख बोल दिया। इसके बाद स्थिति हंगामाई हो गई। बमुश्किल अध्यक्ष ने सबको शांत करवाया। इसके बाद आगे के सभी एजेंडे पास होते चले गए, जिसमें टिकुरिया टोला चौका का नाम महर्षि कश्यप चौक रखने, संस्कार भारती को आयोजन के लिए 80 हजार देने, पुष्करिणी पार्क का नाम दिगंबराचार्य विद्यासागर उद्यान करना शामिल रहा।
पार्षद नम्रता का प्रस्ताव,पुष्करिणी पार्क अब निजी हाथों में परिषद में पुष्करिणी पार्क का संचालन संधारण रेवेन्यू मॉडल अर्थात आउट सोर्स के माध्यम से करने का निर्णय पास कर दिया गया। अब इसका संचालन निजी हाथों में चला गया। हालांकि इस दौरान पार्षद अभिषेक तिवारी ने सवाल किया कि इसके स्वरूप पर कोई परिवर्तन तो नहीं होगा। इस पर कहा गया कि कोई परिवर्तन नहीं होगा। हालांकि इस प्रस्ताव के पास करने के दौरान विरोध तो नहीं हुआ लेकिन चुप्पी जैसा माहौल दिखा। महापौर ने इस दौरान स्पष्ट किया कि इस पार्क को रेवेन्यू मॉडल में लाने का प्रस्ताव वार्ड पार्षद नम्रता सिंह ने दिया था।
धरने पर बैठीं पार्षद परिषद की बैठक के दौरान वार्ड 44 की पार्षद अर्चना अनिल गुप्ता अपना मांग पत्र लेकर गर्भ गृह में धरने पर बैठ गईं। कहा कि उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है। हालांकि बाद में निगमायुक्त ने उनके मांग पत्र के निराकरण की बात कही।
सत्ता पक्ष का हूं, इसलिए कुछ नहीं बोलता पार्षद सूर्यपाल सिंह ने कहा कि 25 साल का पार्षद हूं। सत्तापक्ष का हूं, इसलिए कुछ नहीं बोलता, लेकिन हालात खराब हैं। सड़कें टूटी पड़ी हैं। घटिया काम हो रहा है। अधिकारी देखने नहीं जा रहे हैं। पार्षद से कुछ पूछा नहीं जा रहा है। उन्होंने घटिया काम गिनाए और ठेकेदारों के नाम भी लिए। कहा महापौर ममता पाण्डेय थी कि एक घंटी में फोन उठाती थीं। निगमायुक्त प्रतिभा पाल तत्काल फील्ड में पहुंच जाती थी। अब ऐसा नहीं है।
घटिया लाइट खरीदी पर जांच गठित पार्षद मनीष टेकवानी ने अपने वार्ड के पार्कों में लाइट खराब होने का मुद्दा उठाया। कहा इस परिषद में तीन बार बोल चुका। महापौर ने इसका समर्थन करते हुए संबंधित ईई अरुण तिवारी को नोटिस देने के निर्देश दिए। टेकवानी ने कहा कि जो लाइट पहुंचाई गई हैं वे घटिया क्वालिटी की हैं। नीचे तक रोशनी नहीं पहुंचती। इसका अन्य पार्षदों ने भी समर्थन किया। तब निर्णय लिया गया कि इस खरीदी की जांच होगी। तीन पार्षद और तीन तकनीकि जानकारों की कमेटी गठित होगी। पार्षद अभिषेक तिवारी ने नगर निगम सीमा के तालाबों के संरक्षण का मुद्दा रखा। कहा, सभी तालाबों का सर्वे करवाया जाकर सरकारी अभिलेखों में तालाब दर्ज करवाया जाए। पार्षद आदित्य यादव ने मस्टर कर्मियों के विनियमितीकरण का मुद्दा उठाया। इस पर महापौर ने बताया कि हम प्रस्ताव भेज रहे हैं लेकिन निर्णय शासन के हाथ में है।
कांग्रेस पार्षदों की निंदा होनी चाहिए: महापौर बैठक में महापौर ने कहा कि कांग्रेस पार्षदों ने जिस तरीके से यहां अनुपस्थिति दिखाई है, यह उन महापुरुषों का अपमान है जिनके नाम पर यहां नामकरण किया जा रहा है। इसे उन्होंने निंदनीय बताया। उन्होंने परिषद में असंसदीय भाषा के प्रयोग को घोर निंदनीय बताया। गर्भ गृह पर बैठने की भी निंदा की। कहा, फोटो खिंचवाने के लिए गरिमा नहीं छोड़ी जानी चाहिए। इसके बाद उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग की तैयार की जा रही प्लानिंग साझा की।
दो कांग्रेसी पार्षद पहुंचे एजेंडे को लेकर नेता प्रतिपक्ष रावेन्द्र सिंह ने कांग्रेस पार्षदों की ओर से बहिष्कार की घोषणा की थी। मौजूद 15 कांग्रेस पार्षदों में से 13 पार्षद सदन में अनुपस्थित रहे। 2 पार्षद अशरफ अली बाबा और सुनीता चौधरी बस पार्टी लाइन के विरुद्ध परिषद में उपस्थित दर्ज कराई।
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