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Sambhal Violence केस में जफर अली की रिहाई, जोरदार स्वागत के बीच बोले- जनता चाहेगी तो लड़ूंगा विधानसभा चुनाव

Sambhal Violence Case: संभल हिंसा मामले में जेल में बंद जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट को कोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहा कर दिया गया। संभल पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत हुआ।

सम्भलAug 01, 2025 / 09:02 pm

Mohd Danish

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Sambhal Violence केस में जफर अली की रिहाई | Image Source – Social Media

Sambhal Violence Zafar Ali Released: जामा मस्जिद सर्वे विवाद में गिरफ्तार किए गए जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट को आखिरकार जेल से रिहाई मिल गई है। शुक्रवार को जैसे ही वह संभल पहुंचे, समर्थकों ने फूल-मालाओं, ढोल-नगाड़ों और आतिशबाज़ी के साथ उनका स्वागत किया। कार के ऊपर खड़े होकर उन्होंने हाथ हिलाते हुए लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। इस दौरान समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा और पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया।

जेल में 4 महीने बिताने के बाद रिहाई

जफर अली एडवोकेट को 23 मार्च को उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा और बवाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। उन पर हिंसा की साजिश रचने, गंभीर अपराध में झूठे बयान देने समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट में भी इन आरोपों का उल्लेख है।
सेशन कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद परिजन हाईकोर्ट पहुंचे थे, जहां 24 जुलाई को उन्हें जमानत मिल गई। हालांकि चार्जशीट दाखिल करते समय पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की नई धाराएं 353(2) और 61(2)(a) जोड़ दीं, जिससे मामला और गंभीर हो गया। इसके चलते एमपी/एमएलए कोर्ट में पुनः जमानत की अर्जी दी गई थी, जो पहले खारिज हो गई थी। अंततः सत्र न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उन्हें जमानत दी, जिसके बाद शुक्रवार को उनकी रिहाई हुई।

बयान की वजह से जेल गया – जफर अली

रिहाई के बाद मीडिया से बातचीत में जफर अली ने कहा, “मैं जिस बयान के चलते जेल गया, वह बयान अब खत्म हो गया है। अब अदालत की लड़ाई अदालत में ही लड़ी जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि जेल में बिताया समय उनके लिए सीखने का मौका रहा और अब वह कानूनी तरीके से ही अपनी लड़ाई लड़ेंगे।

चुनाव लड़ने के संकेत

मीडिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में जफर अली ने कहा, “अगर जनता चाहती है तो मैं विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं।” उन्होंने आगे कहा, “कोई भी लड़ाई लड़ने के लिए ताकत यानी पावर होना जरूरी है। अगर मेरे पास पावर होती तो मैं जेल नहीं जाता। इसलिए चुनाव लड़ने का फैसला जनता पर ही छोड़ता हूं।”

राजनीतिक हलचल तेज, समर्थकों में जोश

जफर अली की रिहाई के बाद अब राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। समर्थकों की भारी भीड़ और चुनाव लड़ने के बयान से यह संकेत मिल रहा है कि जफर अली निकट भविष्य में सक्रिय राजनीति में कदम रख सकते हैं। ऐसे में संभल की सियासत में नया समीकरण बनता नजर आ रहा है।

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