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मध्यप्रदेश में रिश्वतखोर अधिकारियों-कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। बावजूद इसके रिश्वत लेने के मामलों में कमी नहीं आ रही है। लोकायुक्त के पास भ्रष्टाचार से जुड़ी औसतन 12 से 15 शिकायतें हर माह पहुंच रहीं हैं। इसमें रिश्वत मांगने, आय से अधिक संपत्ति सहित शासकीय कर्मियों द्वारा की जा रहीं अन्य आर्थिक अनियमितताओं संबंधी हैं। इन पर लोकायुक्त संगठन पुष्टि होने पर बिना ट्रैप कार्रवाई के भी मामला दर्ज कर रहा है।
लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय के अनुसार रेस्टोरेंट संचालक पुनीत राज इटोरिया व आनंद शर्मा के खिलाफ टीकमगढ़ कोतवाली पुलिस ने 8 अप्रैल को आईपीएल सट्टा खिलाने का मामला दर्ज किया था। मामले में कोतवाली थाना प्रभारी पंकज शर्मा ने पुनीत की जमानत कराने और उसके पार्टनर रुद्र प्रताप सिंह व उसके भाई मयंक को केस में फंसाने की धमकी देते हुए दलाल शिवम रिछारिया के माध्यम से 3 लाख रुपए रिश्वत मांगी। जिसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की गई, लेकिन इस बात की जानकारी टीआई शर्मा को लगने कारण ट्रैप की कार्रवाई नहीं हो सकी। इसके बाद भी लोकायुक्त ने थाना प्रभारी पंकज शर्मा और शिवम रिछारिया द्बद्भ मामला दर्ज किया।
सागर संभाग में पहला ऐसा मामला सामने आया है। जहां लोकायुक्त ने बिना ट्रैप कार्रवाई के रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया है। इससे यह साबित हो गया है कि अब रिश्वत मांगने वाले शासकीय कर्मी का रंगे हाथ पकड़े जाना जरूरी नहीं है। यदि लोकायुक्त के पास संबंधित शिकायत की पुष्टि है। तब भी वह आरोपी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध कर सकते हैं।
लोकायुक्त के अनुसार संभाग में हर साल भ्रष्टाचार से जुड़े औसतन 35 मामलों में प्रकरण पंजीबद्ध किए जाते हैं। पिछले कुछ समय से सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतें राजस्व विभाग से संबंधित पहुंची हैं। इसके अलावा लगभग इतने ही मामलों में हर साल फास्ट कोर्ट आरोपियों के खिलाफ विचाराधीन केसों में फैसला सुनता है।
लोकायुक्त एसपी योगेश्वर शर्मा का कहना है कि संभागीय मुख्यालय होने के कारण यहां सागर के अलावा संभाग के अन्य पांच जिलों से भी शिकायतें आती हैं। जिन मामलों में किसी कारण यदि ट्रैप की कार्रवाई न हो पाए, लेकिन रिश्वत मांगने की पुष्टि हो जाए तो संबंधित के खिलाफ मामला दर्ज करते हैं।
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