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80 प्रतिशत किसान व व्यापारी इंग्लिश नही समझते फिर भी अनुबंध पत्रक की भाषा अंग्रेजी

सागर. प्रदेशभर की कृषि उपज मंडी में किसान व व्यापारियों के बीच होने वाले अनुबंध के लिए शुरू हुई ई-मंडी एप की व्यवस्था पर अब सवाल उठ रहे हैं। यह एप किसानों के लिए सुविधा देने से ज्यादा परेशानी खड़ी कर रहा है। मंडियों में करीब 80 प्रतिशत व्यापारी, किसान और हम्माल इंग्लिश नहीं समझते […]

सागरJun 16, 2025 / 06:05 pm

प्रवेंद्र तोमर

सागर. प्रदेशभर की कृषि उपज मंडी में किसान व व्यापारियों के बीच होने वाले अनुबंध के लिए शुरू हुई ई-मंडी एप की व्यवस्था पर अब सवाल उठ रहे हैं। यह एप किसानों के लिए सुविधा देने से ज्यादा परेशानी खड़ी कर रहा है। मंडियों में करीब 80 प्रतिशत व्यापारी, किसान और हम्माल इंग्लिश नहीं समझते हैं लेकिन एप से निकलने वाले अनुबंध पत्रक की भाषा अंग्रेजी होती है, अंग्रेजी में नाम, दाम समझने किसान व हम्माल पर्ची लेकर भटकते रहते हैं। प्रदेश की 38 ए क्लास मंडी में ई-मंडी एप की यह व्यवस्था पिछले वर्ष अप्रेल में शुरू हुई थी, जबकि अब पूरे प्रदेश की 259 कृषि उपज मंडियों में यह व्यवस्था लागू हो चुकी है।
सागर में पिछले साल शुरू हुई थी व्यवस्था-
सागर की खुरई रोड स्थित कृषि उपज मंडी में एप के माध्यम से अनुबंध पत्रक बनाने की व्यवस्था पिछले वर्ष शुरू हुई थी, जहां डाक के समय किसान को जो अनुबंध पत्रक दिया जा रहा है उसमें उपज बेचने वाले किसान का नाम, खरीदने वाले व्यापारी का नाम व फर्म, लाइसेंस नंबर, उपज की कीमत सहित अन्य जानकारी अंग्रेजी में होती हैं। किसान डाक होने के बाद व्यापारियों की गोदाम व दुकान खोजने पर्ची लेकर भटकते हैं, यदि किसान दुकान पर पहुंच भी जाए तो वहां हम्माल भी अंग्रेजी नहीं समझता।
संयुक्त संचालक व कृषि मंत्री को लिखा पत्र-
सागर मंडी में हर दिन औसत 1000 किसान अपनी उपज बेचने पहुंचते हैं, यहां अनुबंधित 450 व्यापारी 15-20 हजार क्विंटल अनाज खरीदते हैं। एक साल से किसान व व्यापारी लगातार इस समस्या से परेशान हो रहे हैं। ऐसे में अब सागर की कृषि उपज मंडी समिति सचिव, अनाज व तिलहन व्यापारी संघ ने राज्य कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त संचालक, कृषि मंत्री को पत्र लिखकर अनुबंध पत्रक की पूरी भाषा हिंदी में करने की मांग की है।
यह हो रहीं समस्याएं-
14 जनू को किसान खुशीलाल ने सागर मंडी में महेश साहू व्यापारी को 24 क्विंटल चना 5485 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा था। मंडी में व्यवस्था होती है कि व्यापारी डाक के बाद तुलाई के लिए किसानों को अपनी गोदाम व दुकान पर बुला लेते हैं। किसान पर्ची लेकर व्यापारी की दुकान खोजता रहा, वहां पहुंचा तो हम्माल भी कंफर्म करता रहा कि यह पर्ची यहीं की है कि नहीं। ऐसी समस्या प्रत्येक किसान के साथ सामने आ रही है, जिससे किसान भटक रहे हैं।
-एप पर हिंदी में नाम व अन्य जानकारी फीडिंग में हिंदी का उपयोग नहीं हो रहा है, जिससे किसान परेशान है। मामले की जानकारी राज्य कृषि विपणन बोर्ड को दी गई है।
आरपी सिंह, सचिव कृषि उपज मंडी समिति सागर।
-मंडी में डाक होने पर किसान पर्ची लेकर घूमते हैं, जब किसान व्यापारी के पास पहुंचता है तो वहां हम्माल को भी पर्ची में नाम समझने और रेट को लेकर असमंजस रहता है।
इस समस्या के लिए हमने कृषि उपज मंडी बोर्ड भोपाल के प्रबंध संचालक विश्वास कुमार से मांग की है कि प्रदेशभर की मंडी में अनुबंध पत्रक हिंदी में किया जाए।
महेश साहू, अध्यक्ष अनाज तिलहन व्यापारी संघ सागर।

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