चातुर्मास का महत्व (Why Chaturmas Is Important)
मान्यता है कि शुभ कार्यों के लिए सभी देवताओं का जागृत होना और शुक्र, गुरु जैसे शुभ ग्रहों का उदित होना आवश्यक है, ताकि इन मांगलिक कार्यों का शुभ फल मिले। इसके अलावा वर्षा ऋतु में प्रकृति में जीवों के जन्म का समय भी होता है और इसमें कोई बाधा न पहुंचे, इसके लिए जैन समुदाय के संत भी भ्रमण छोड़कर एक जगह तक रूककर सिर्फ संत्संग वगैरह करते हैं। इसी कारण चातुर्मास में विवाह मुंडन जैसे मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। आइये जानते हैं कब से शुरू हो रहा चातुर्मास ..
कब से शुरू हो रहा चातुर्मास (Chaturmas 2025 Start Date)
चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी से होती है। इस साल एकादशी तिथि 5 जुलाई शाम 6.58 बजे से शुरू हो रही है, जो 6 जुलाई 2025 को रात 9.14 बजे संपन्न होगी। इसलिए उदयातिथि में देवशयनी एकादशी रविवार 6 जुलाई 2025 को मानी जाएगी। इस दिन व्रत रखा जाएगा। इसका पारण समय अगले दिन 7 जुलाई को सुबह 5.39 बजे से 8.24 बजे के बीच रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय रात 11.10 बजे रहेगा।चातुर्मास से पहले बंद हो जाएंगे शुभ कार्य (Guru Asta 2025 Importance)
मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्यों के लिए देवताओं के जागृत होने के साथ गुरु और शुक्र जैसे ग्रहों तारों का उदित अवस्था में होना आवश्यक है और 6 जुलाई को चातुर्मास शुरू होने से पहले 11 जून 2025 बुधवार को शाम 6:54 देव गुरु बृहस्पति मिथुन राशि में अस्त हो जाएंगे। इससे उनका शुभ फल देने का बल क्षीण हो जाएगा। इसके कारण इसी अवधि से हिंदू समुदाय में विवाह मुंडन समेत सभी 16 संस्कार और नए काम बंद कर दिए जाएंगे।
गुरु अस्त का इन जातकों को लाभ (Guru Asta Benifit)
ज्योतिषविदों के मुताबिक इस बदलाव से उन जातकों का अच्छा समय बीतेगा, जिनकी राशि चक्र में देव गुरु चौथे, आठवें और 12वें स्थान पर भ्रमण कर रहे हैं। क्योंकि गुरु के अस्त होने के बाद इन स्थानों का बल क्षीण हो जाएगा।
इस डेट को उदित होंगे गुरु (Guru Uday Date)
ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना गया है। बृहस्पति लगभग 13 माह में एक से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इस वर्ष गुरु की गति सामान्य से दोगुनी होगी। अत: वह एक वर्ष में दो बार राशि परिवर्तन करेंगे। फिलहाल वह मिथुन राशि में विराजमान हैं और अक्टूबर तक इसी राशि में रहेंगे। वे 11 जून को पश्चिम दिशा में अस्त होंगे व सात जुलाई को पूर्व दिशा में उदय होंगे।
नहीं होती वधू की विदाई
केपी ज्योतिषाचार्य पं.मोहनलाल शर्मा ने बताया कि विवाह में गुरु ग्रह का उदय रहना आवश्यक माना जाता है। इस कारण विवाह समेत सभी संस्कार सहित नई दुकान खोलना या अन्य नए काम की शुरुआत जैसे मांगलिक आयोजनों पर अस्थायी रोक रहेगी।
वर और वधू की जन्म पत्रिका अनुसार सूर्य, चंद्र व गुरु की गोचर स्थिति का ध्यान रखना अति आवश्यक है। ऐसे में मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक रहेगी। यहां तक की इस समय नई दुल्हन की विदाई भी नहीं की जाती।
ऐसे में पहले गुरु के अस्त रहते, फिर देव शयन के चलते विवाह व मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस बीच वृषभ, कर्क, वृश्चिक, मकर, कुंभ राशि के जातकों को विशेष ध्यान रखना होगा। ये भी पढ़ेंः Guru Asta 2025 In Hindi: बुध की राशि में गुरु हो जाएंगे अस्त, इन 2 राशियों की होगी उन्नति मिलेगी खुशखबरी