आंकड़ों पर गौर करे तो भ्रष्टाचारी लोकसेवकों की अब तक की कार्रवाई में रतलाम जिला सबसे अव्वल रहा है। यही नहीं सबसे ज्यादा पांत मामलों में पटवारी ही धराए हैं। इनमें भी तीन पटवारी रतलाम जिले के ही हैं। दूसरा नंबर ग्राम पंचायतों का रहा है। ग्राम पंचायतों के सहायक सचिव और सचिव ही नहीं सरपंच भी रिश्वतखोरी के मामले में लोकायुक्त के हत्थे चढ़ चुके हैं। (corrupt patwaris in MP)
14 में से पांच रतलाम के
लोकायुक्त उज्जैन के अंतर्गत संभाग के सभी जिलों में कार्रवाई का अधिकार होता है। संभाग के सात जिलों में रिश्वतखोरी के केस देखें जाए तो रतलाम में सबसे ज्यादा पांच रिश्वतखोर पकड़ाए जा चुके हैं। दूसरे नंबर पर उज्जैन जिला रहा है। यहां तीन भ्रष्टाचारी पकड़े जा चुके हैं। आगर-मालवा में कोई नहीं
संभाग के सात जिलों में से आगर-मालवा में लोकायुक्त की इन पांच माह में कोई कार्रवाई नहीं हुई है जबकि शेष रतलाम, मंदसौर, नीमच, उज्जैन, शाजापुर और देवास में किसी न किसी भ्रष्टाचारी को लोकायुक्त ट्रैप कर चुकी है। देवास जैसे छोटे जिले में दो कार्रवाई हो चुकी।
राजस्व में ज्यादा भ्रष्टाचार
आमतौर पर राजस्व विभाग से बहुत ज्यादा संया में लोग जुड़े रहते हैं। खासकर किसानों की जमीन के मामले राजस्व में पटवारियों के पास ही रहते हैं। यही वजह है कि इस विभाग में सबसे ज्यादा भष्टाचार देखने को मिला है। दूसरे नंबर पर ग्राम पंचायतों का सामने आया है।