बच्चों को सुनाया बचपन का किस्सा
मंत्री विजय शाह ने बच्चों से कहा कि हमारे जमाने में पुस्तक सिर्फ हमारे पास होती थी। मैंने कहा ना गलती से हम बड़े घर में पैदा हो गए थे। मध्यान्ह भोजन आपको अभी मिल रहा है। मुझे आज भी याद है कि जब तीसरी कक्षा में था तो तब मेरी मां टिफिन देती थी। मैं तब टिफिन लेकर जाता था। तब गरीब बच्चे दिखते थे। गांव की हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ा। कुछ बच्चों को खिलाता था। थोड़े दिन बाद मुझे शर्म भी आने लगी। फिर मैं थोड़ा-थोड़ा खाना बांट देता था।कितनी बहनों के सिंदूर उजड़े, कितने भाई चले गए- विजय शाह
मंत्री विजय शाह ने बच्चों से कहा कि सबको मालूम है आज क्या है। आज 15 अगस्त है। आज के दिन देश आजाद हुआ था, ये मालूम है कि नहीं। इस देश को आजादी कोई अंग्रेज थाली में परोसकर नहीं चले गए। इस देश की आजादी के लिए न जाने कितने लोगों ने बलिदान दिया। कितनी मां के लाल उजड़कर चले गए। कितनी बहनों के सिंदूर उजड़ गए। कितनी बहनों के भाई चले गए। देश की आजादी के लिए तमाम लोगों ने आंदोलन, प्रदर्शन और बलिदान दिया है। तब जाकर के ये आजादी का दिन 15 अगस्त हम मना रहे हैं।
माता-पिता की इज्जत करें- विजय शाह
मंत्री ने आगे कहा कि आज आपको देख कर मुझे मेरा बचपन याद आ गया। अंदर से मैं प्रसन्न हूं। हे ईश्वर तूने वह दिन दिखाए, 15 अगस्त के दिन इनके चेहरे खुशहाल है। आज हमारा देश तरक्की कर रहा है। पहले हमारे जमाने में टीचर नहीं थे, लेकिन इसी स्कूल में तीन-चार टीचर भी हैं। देश की आजादी दिलाने वालों को नमन करें। माता-पिता की इज्जत करें। सभी टीचरों को प्रणाम करें।