घूमने आए थे, लेकिन बन गया अंतिम सफर
दिवेर थानाधिकारी भवानीशंकर ने बताया कि दोनों अधिकारी छुट्टी का दिन बिताने कार से गोरीधाम कुंड पहुंचे थे। दोपहर में जब वे पानी में उतरे तो गहराई का अंदाजा नहीं लगा सके और देखते ही देखते डूब गए। मृतकों की पहचान झांसी (उत्तरप्रदेश) निवासी अखिलेश (30) पुत्र सूरज पल वर्मा और दीपेंद्र (32) पुत्र महेंद्र वर्मा के रूप में हुई है।
घंटों चला रेस्क्यू अभियान
हादसे की सूचना मिलते ही हैड कांस्टेबल शिवसिंह जाप्ता दल के साथ मौके पर पहुंचे। बाघाना प्रशासक विष्णु मेवाड़ा और ग्रामीणों ने मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बड़ी मशक्कत के बाद शवों को कुंड से बाहर निकाला गया। गहरी घाटियों और जंगल के रास्तों से करीब 2-3 किलोमीटर शवों को पैदल बाहर लाया गया और फिर एम्बुलेंस से देवगढ़ अस्पताल की मोर्चरी भेजा गया। रेस्क्यू में देवीलाल, कैलाशसिंह, पन्नासिंह, रामसिंह, ओमप्रकाश, प्रेमसिंह, विजय शर्मा, योगेश सेन सहित कई ग्रामीणों ने अहम भूमिका निभाई।
सुरक्षा चेतावनियों के बावजूद हादसे
गोरीधाम कुंड बेहद गहरा और खतरनाक माना जाता है। यहां चेतावनी संकेतक लगे हुए हैं, बावजूद इसके लोग अक्सर लापरवाही करते हुए नहाने पहुंच जाते हैं। यही लापरवाही मौत का कारण बनती है। पिछले कुछ वर्षों में देवगढ़ क्षेत्र में पानी में डूबने से 11 मौतें हो चुकी हैं।
7 साल पुराना दर्दनाक हादसा अब भी ताज़ा
साल 2018 में भी गोरीधाम कुंड में बड़ा हादसा हुआ था। एक सगाई समारोह में आए तीन सगे भाइयों की नहाते समय डूबने से मौत हो गई थी। इनमें भीलवाड़ा का चेतन, बग्गड़ का सुदर्शन उर्फ बबलू और लांबोड़ी का राधेश्याम शामिल थे। उस हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर दिया था।
हर बार एक ही सवाल – आखिर कब सीखेगी लापरवाह भीड़?
लगातार हो रहे हादसे यह सवाल खड़ा करते हैं कि आखिर लोग चेतावनियों को नज़रअंदाज़ क्यों कर देते हैं? प्रशासन संकेतक और सुरक्षा संदेश लगाता है, पुलिस समय-समय पर अलर्ट करती है, लेकिन लापरवाही ज़िंदगियों को निगल रही है।