किसानों से मिली जानकारी के अनुसार कृषि केन्द्रों में बेचे जा रहे दवाइयों व खाद का असर नहीं हो रहा है। संचालकों द्वारा उंची कीमत पर दवाइयां व खाद की बिक्री की जा रही है। ऐसे में अमानक स्तर के दवाई व खाद की खरीदी कर किसान छले जा रहे हैं।
सबसे गंभीर मामला यह है कि
कृषि केन्द्र संचालकों द्वारा दवाइयों व खाद की कीमत का बिल भी नहीं दिया जा रहा है। बावजूद इसके कृषि विभाग द्वारा कृषि केन्द्रों में बेचे जा रहे सामानों की जांच करने गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
बाजारों में धड़ल्ले से अमानक स्तर का खाद व दवाइयां बिक रही है। क्योंकि कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। हर साल खाद व दवाइयों के सैंपल ले लिए जाते हैं, लेकिन उसके बाद की प्रकिया की जानकारी कागजों में ही कैद होकर रह जाती है।
दवाइयों का बिल भी नहीं दिया जा रहा मिली जानकारी के अनुसार कृषि केन्द्र संचालकों द्वारा ग्राहकों को जीएसटी वाला ओरिजिनल बिल भी नहीं दिया जा रहा है। इधर लगातार खाद की कालाबाजारी भी हो रही है। किराना दुकान से लेकर कृषि केंद्रों में खाद की भरपूर स्टॉक रखी गई है। सोसायटी में किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल पा रहा है । जिसके कारण किसान निजी दुकानों में पहुंचकर अधिक दाम में खाद खरीद रहे हैं। संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को दतर से ही फुर्सत नहीं मिल रहा है।
बिना डिग्रीधारी चला रहे कृषि केन्द जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार के नए निर्देश के अनुसार बीएससी ग्रेजुएशन की डिग्रीधारक ही कीटनाशक बेच सकते हैं। जबकि शहर सहित जिले में संचालित अधिकांश दुकानदार दसवीं पास भी नहीं है। लाइसेंस धारियों का नाम ऑनलाइन होने के पारदर्शी रखा गया है। इसके बावजूद कृषि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम कीटनाशक और खाद बीज की दुकानें संचालित हो रही है। इस कारण किसानों को नकली कीटनाशक और बीज खरीदना पड़ रहा और किसान ठगी का शिकार होते जा रहे।
किसानों ने बताया कि वर्तमान में फसलों के ग्रोथ का समय है। ऐसे में किसान कृषि केन्द्रों से फसलों के ग्रोथ करने वाले दवाइयों की कृषि केन्द्रों से खरीदी की जा रही है। किसानों द्वारा दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन दवाई का असर फसलों में नहीं होने की जानकारी सामने आ रही है। किसान अघनु राम निषाद ने बताया कि उनका 4 एकड़ की खेती है और वह धान रोपाई किया है।
किसान ने बताया कि फसल में ग्रोथ लाने उसने कृषि केन्द्र से करीब ढाई हजार रुपए की दवाई खरीदी कर फसल में छिड़काव किया है, लेकिन फसल में दवाई का कोई असर नहीं हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार कृषि केन्द्रों में कई कंपनियों की दवाइयों के बिक्री की जा रही है। इन दवाइयों के असर का कोई गांरटी नहीं है। ऐसे में किसानों के साथ धोखा हो रहा है।