इस नए नियम के लागू होने के बाद खाद्य विभाग का कहना है कि लाइसेंस के साथ ही पेट्रोल पंपों की जांच को लेकर हमारी जवाबदारी खत्म हो गई है। यही कारण है कि खाद्य विभाग और जिला प्रशासन अब पेट्रोल पंपों में जांच पड़ताल नहीं कर रहे। इसका फायदा शहर सहित जिले भर में संचालित पेट्रोल पंप संचालक उठा रहे हैं। नियम और ग्राहकों को मिलने वाले पूरी सुविधाओं की बात ही छोड़िए ग्राहकों को पेट्रोल पंप में हवा-पानी और शौचालय की सुविधा तक नहीं मिल रही है।
दुर्घटना का खतरा भी
पेट्रोल पंप में नियमों का पालन नहीं होने के साथ-साथ सुरक्षा मानकों का उल्लंघन, प्रदूषण नियंत्रण नियमों की अनदेखी, और उचित माप-तौल का अभाव देखा जा रहा है। कुछ पेट्रोल पंपों में सुरक्षा उपकरणों का सही से रखरखाव नहीं करते, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
सुरक्षा मानकों का उल्लंघन
कई पेट्रोल पंप उचित अग्निशमन उपकरणों का रख-रखाव नहीं करते, जिससे आग लगने की स्थिति में खतरे बढ़ जाते हैं। साथ ही, भंडारण टैंकों और पाइपलाइनों के रख-रखाव में लापरवाही से रिसाव हो सकता है, जिससे पर्यावरण और आसपास के लोगों को खतरा होता है।
इस तरह बहानेबाजी
गाड़ियों में हवा डलवाने की सुविधा भी रखनी है, लेकिन अक्सर हवा के लिए पूछने पर मशीन में खराबी, कर्मचारी का छुट्टी में होना, खाना खाने जाना। ऐसे ही रटे हुए बहाने सुना दिया जाता है। कुछ ही पेट्रोल पंपों में शीतल पेयजल और हवा की सुविधा उपलब्धरहती है।
जांच ही नहीं
कुछ पेट्रोल पंप ग्राहक को कम मात्रा में ईंधन देते हैं। मतलब आसानी से कांटामारी की जा रही है। इससे ग्राहकों को सीधे नुकसान हो रहा है। साथ ही ईंधन की गुणवत्ता भी कई बार मानकों से कम पाई जाती है, जिससे वाहनों को नुकसान होता है, लेकिन इन सब मानकों को जांचने वाला कोई नहीं है। यही कारण है पेट्रोल पंप संचालकों की मनमानी चल रही है। संबंधित विभाग की ओर से पंपों की जांच नहीं किए जाने के कारण कांटामारी की भी शिकायत सामने आ रही है। ग्राहकों को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। शासन की ओर से नया नियम लाया गया है, जिसके तहत पेट्रोल पंप के लिए लाइसेंस पेट्रोलियम कंपनी से ही जारी होना है, तो ऐसे में अब खाद्य विभाग वहां जांच या निरीक्षण नहीं कर सकता है। – रविंद सोनीजिला खाद्य अधिकारी