साढ़े चार साल के एमबीबीएस कोर्स के बाद एक साल इंटर्नशिप करनी होती है। इस हिसाब से एक छात्र को सालभर में 1.8 लाख रुपए से ज्यादा स्टाइपेंड मिलता है। प्रदेश में विदेश से
एमबीबीएस की पढ़ाई कर हर साल 100 से ज्यादा छात्र लौटते हैं। फरवरी 2023 में रूस व यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के कारण कई छात्रों की एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई थी। ऐसे छात्र, जिनका एमबीबीएस कोर्स पूरा नहीं हुआ है, वे इंटर्नशिप नहीं कर सकते। इंटर्नशिप करने के लिए वही छात्र पात्र हैं, जिन्होंने एमबीबीएस का कोर्स पूरा किया हो। यही नहीं, फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम भी पास किया हो।
एनएमसी के आदेश के बाद प्रदेश में विदेश से एमबीबीएस पढ़े 800 से ज्यादा छात्रों को इंटर्नशिप करने की अनुमति दी गई है। हालांकि अभी इससे आधे छात्र ही इंटर्नशिप कर पा रहे हैं। पुराने कॉलेजों में कम व जहां इंटर्नशिप शुरू नहीं हुई है, वहां एमबीबीएस सीटों के बराबर इंटर्नशिप की अनुमति दी गई है। इंटर्नशिप के बाद पीजी की तैयारी एक साल का इंटर्नशिप पूरा करने के बाद छात्र प्री पीजी की तैयारी करते हैं।
फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम पास कर विदेश में पढ़े कई छात्र सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर रेसीडेंट के बतौर सेवाएं दे रहे हैं। प्रदेश या दूसरे राज्यों से एमबीबीएस कर लौटे इंटर्नशिप करने वाले छात्रों ने दो साल पहले हड़ताल की थी। इसके बाद शासन ने स्टाइपेंड 12500 से बढ़ाकर 15300 रुपए कर दिया था। यही नहीं इंटर्न के स्टायपेंड के अलावा पीजी छात्रों का भी स्टाइपेंड बढ़ाया गया है। पहले उन्हें 53 से 57 हजार मिलता था। अब 63 से 75 हजार रुपए हर माह स्टाइपेंड दिया जा रहा है। हालांकि यह एस की तुलना में कम है, लेकिन दूसरे राज्यों की तरह ही है।