पत्रिका ने सबसे पहले 8 नवंबर 2024 को
आंबेडकर अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग 30-40 करोड़ रुपए में होगी रेनोवेट शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद शासन ने फंड की स्वीकृति दी थी। अस्पताल बिल्डिंग 1996 में बनकर तैयार हुई है। इसके पहले डीकेएस अस्पताल में जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज संबद्ध अस्पताल का संचालन हो रहा था। 1 नवंबर 2000 में राज्य बनने के बाद डीकेएस को मंत्रालय बनाया गया। 2012 से नवा रायपुर में मंत्रालय शिट किया गया। इसके बाद 2 अक्टूबर 2018 से डीकेएस में सुपर स्पेश्लिटी अस्पताल चल रहा है। आंबेडकर अस्पताल को रेनोवेट करने की जरूरत विशेषज्ञों ने बताई है। इसके बाद ही अस्पताल प्रबंधन की ओर से शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था।
वायरिंग के लिए अलग फंड की मांग, बड़ी मशीनों को खतरा
रिनोवेशन में वायरिंग का काम शामिल नहीं होगा। प्रबंधन ने शासन से रिनोवेशन में वायरिंग को भी शामिल करने की मांग की है, लेकिन बताया जाता है कि इसके लिए अलग से फंड की जरूरत पड़ेगी। बिल्डिंग बनने के बाद वायरिंग का काम किया गया है। इसलिए यह भी काफी पुराना हो गया है। बड़ी-बड़ी मशीनें पुरानी वायरिंग के भरोसे चल रही है। इसलिए नई वायरिंग की जरूरत महसूस की जा रही है। यही नहीं ओटी में मशीनों के साथ ओटी टेबल भी पुराने वायरों के भरोसे हैं। इसलिए वायर बदलना जरूरी हो गया है। ताकि कभी भी विषम परिस्थितियों का सामना करना न पड़े।
डीकेएस, जिला व मातृ-शिशु अस्पताल को रेनोवेट करने की जरूरत नहीं
डीकेएस, जिला व मातृ-शिशु अस्पताल को रेनोवेट करने की जरूरत नहीं है। डीकेएस 2 अक्टूबर 2017 को चालू हुआ है। इसके पहले पूरी बिल्डिंग का रिनोवेशन किया गया था। वहीं कालीबाड़ी स्थित मातृ-शिशु व पंडरी स्थित जिला अस्पतालों की बिल्डिंग 10 से 11 साल पुरानी ही है। इसलिए तीनों अस्पतालों की बिल्डिंग अभी मजबूत है। डीकेएस को तो कई विभागों के लिए पार्टिशन कर बनाया गया है। ताकि ओपीडी से लेकर इनडोर व जांच कक्ष बनाया जा सके।
फॉल सीलिंग भी आधी-अधूरी गेप देखने में लग रहा अजीब
अस्पताल बिल्डिंग के रिनोवेशन के लिए टेंडर होना बाकी है। रिनोवेट होने से बिल्डिंग को मजबूती मिलेगी। यही नहीं इसकी लाइफ भी बढ़ जाएगी, जो मरीजों के लिए जरूरी भी है। डॉ. संतोष सोनकर, अधीक्षक आंबेडकर अस्पताल 29 साल पुरानी बिल्डिंग को रिनोवेट करने से मजबूती मिलेगी। चूंकि प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल है तो यहां रोजाना सैकड़ों मरीजों का इलाज होता है। रेनोवेट जरूरी भी है।
डॉ. गोवर्धन भट्ट, प्रोफेसर सिविल एनआईटी कांग्रेस सरकार ने अस्पताल में फॉल सीलिंग, टॉयलेट व बाथरूम का मेंटेनेंस हाउसिंग बोर्ड ने करवाया था, जबकि यह नियम विरुद्ध था। फॉल सीलिंग भी आधी-अधूरी करवाई गई है। कई जगहों पर जैसे बिजली के बटन, एसी का आउटर है, वहां पर फॉल सीलिंग नहीं की गई है। ग्राउंड से लेकर फर्स्ट , सेकंड व थर्ड लोर में की गई फॉल सीलिंग का जायजा, जब पत्रिका ने लिया तो देखा की ठेकेदार ने केवल औपचारिकता निभाई है।
फॉल सीलिंग में लंबा गेप किया गया है, जिसे देखने से ही अजीब लग रहा है। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि सबंधित ठेकेदार को आधी-अधूरी फॉल सीलिंग ठीक करने को कहा गया था, लेकिन उसने इसे अनसुना कर दिया। काम पूरा करने पर ध्यान ही नहीं दिया गया। यही नहीं टूटे वॉश बेसिन व टॉयलेट का मेंटेनेंस करने से पीडब्ल्यूडी ने इनकार भी कर दिया था।