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रायपुर

मुश्किल में मरीज: एसीआई में 44 दिन से ठप, एम्स में हार्ट की बायपास सर्जरी के लिए 6 माह की वेटिंग

बायपास सर्जरी, वॉल्व रिप्लेसमेंट व वैस्कुलर सर्जरी कराने वाले मरीजों को दोहरी मार पड़ रही है। एसीआई में 250 से ज्यादा मरीज वेटिंग में हैं। अब इन मरीजों को एम्स रेफर किया जा रहा है।

रायपुरAug 30, 2025 / 12:32 am

Rabindra Rai

रायपुर एम्स में हार्ट की कोरोनरी बायपास सर्जरी के लिए 6 माह की वेटिंग चल रही है। दरअसल नेहरू मेडिकल कॉलेज स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में 44 दिन से हार्ट की ओपन व बायपास सर्जरी ठप है। इसलिए एम्स में ऑपरेशन की वेटिंग बढ़ती जा रही है। इसका असर ये हो रहा है कि जरूरतमंद मरीजों को निजी अस्पताल जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जबकि निजी अस्पताल बकाया भुगतान पेंडिंग होने का हवाला देकर आयुष्मान से फ्री इलाज से मना कर रहे हैं। ऐसे में मरीजों को कैश देकर ऑपरेशन कराना पड़ रहा है।

वॉल्व रिप्लेसमेंट व वैस्कुलर सर्जरी कराने वालों पर दोहरी मार

बायपास सर्जरी, वॉल्व रिप्लेसमेंट व वैस्कुलर सर्जरी कराने वाले मरीजों को दोहरी मार पड़ रही है। एसीआई में 250 से ज्यादा मरीज वेटिंग में हैं। अब इन मरीजों को एम्स रेफर किया जा रहा है। जब मरीज एम्स के कार्डियो थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग पहुंचते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि यहां 6 महीने बाद ऑपरेशन का नंबर आएगा। ऐसे में मरीज व उनके अटेंडेंट के पास बगले झांकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। वे डॉक्टर या अन्य स्टाफ से जल्दी ऑपरेशन करने की गुहार भी लगाते हैं, लेकिन डॉक्टर मरीजों की संख्या अधिक बताते हुए जल्द ऑपरेशन नहीं होने की बात कहते हैं। तब मरीज मजबूरी में निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं। वहां भी स्टाफ कैशलेस के बजाय कैश से इलाज करने की बात कह रहे हैं।

लेजर तकनीक से बायपास सर्जरी पर उहापोह, जबकि ये सुविधा ही नहीं

जब मरीज एम्स पहुंचते हैं, तब वहां के स्टाफ मरीजों को यह कहते हैं कि एसीआई जाइए, वहां लेजर तकनीक से बायपास सर्जरी की जाती है। वापस मरीज एसीआई पहुंचता है, तब वहां डॉक्टरों को बताया जाता है कि एम्स के स्टाफ व कुछ डॉक्टरों ने लेजर तकनीक से ऑपरेशन होने की बात बताई है। ऐसे में एसीआई के डॉक्टर बताते हैं कि बायपास व ओपन हार्ट सर्जरी में लेजर तकनीक नहीं होती। वे भी हैरान कि आखिर ऐसी अफवाह कौन फैला रहा है।

17 जुलाई को सामान नहीं होने का पत्र, अस्पताल प्रबंधन की चुप्पी

एसीआई प्रबंधन ने अधीक्षक कार्यालय को 17 जुलाई को ही पत्र लिखकर ऑपरेशन के लिए जरूरी सामान खत्म होने संबंधी पत्र लिखा था। वेंडर को भुगतान नहीं होने से वे सामान देने से मना कर रहे हैं। यही नहीं पुराने रेट से भी सामान देने पर हाथ खड़े कर दिए हैं। एसीआई में ऑपरेशन के लायक दो से तीन मरीज रोजाना आ रहे हैं। डॉक्टर उन्हें सामान नहीं होने की जानकारी देकर एम्स रेफर कर रहे हैं। प्रबंधन ने जैम पोर्टल से सामान मंगाने का प्रयास किया लेकिन इसमें असफल रहे।

375 करोड़ की किस्त जारी, निजी में इलाज बंद नहीं होने की संभावना

स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को आयुष्मान भारत योजना के बकाया भुगतान के लिए 375 करोड़ रुपए की किस्त जारी की है। विभाग का दावा है कि निजी अस्पतालों को भुगतान भी शुरू कर दिया है। इससे 1 सितंबर से संभावित कैशलेस इलाज बंद करने की संभावना टल गई है। पत्रिका ने पहले ही बकाया भुगतान नहीं होने पर निजी अस्पतालों में आयुष्मान से इलाज अघोषित रूप से बंद होने का समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने किस्त जारी की।

मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण वेटिंग स्वाभाविक

हार्ट के मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण वेटिंग स्वाभाविक है। फिर भी जितना हो सके, वेटिंग कम करने का प्रयास किया जा रहा है। सप्ताह के 6 दिन बायपास सर्जरी की जा रही है।
डॉ. मृत्युंजय राठौर, पीआरओ, एम्स

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