हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। डेंगू एक मच्छर जनित वायरल बीमारी है, जो सामान्यत: बारिश के दिनों में होती है। डेंगू दिवस के लिए इस वर्ष की थीम है- ‘जल्दी कार्रवाई करें, डेंगू रोकें : स्वच्छ वातावरण, स्वस्थ जीवन।’ इस थीम का उद्देश्य है कि लोगों को शुरुआती लक्षण पहचानने और तत्काल डॉक्टर से संपर्क करने के लिए प्रेरित करना। गंदगी और स्थिर पानी को हटाकर मच्छरों की उत्पत्ति रोकना। समुदाय आधारित भागीदारी को बढ़ावा देना। स्वच्छता को जीवनशैली का हिस्सा बनाना। पिछले साल रायपुर के पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी ने कुछ-कुछ इन्हीं विषयों को लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में कहा था कि ऐसा देखा गया है कि जगह-जगह जो पॉलीथिन उपयोग करके फेंक दी जाती है, उनमें एकत्रित पानी की वजह से मच्छर ज्यादा पनप रहे हैं। पॉलीथिन पर प्रतिबंध होने के बावजूद छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल इसे लागू करने में विफल रहा है। उन्होंने प्रतिबंधित प्लास्टिक को नियंत्रित करने के लिए जलवायु परिवर्तन विभाग के तहत उच्च स्तरीय समिति गठित करने का सुझाव दिया था। उनके द्वारा उठाए गए विषयों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में डेंगू के कुल मामलों में शहरी क्षेत्रों का योगदान 58 फीसदी तक रहा। यह 2023 में बढ़कर 68 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इसी तरह, छत्तीसगढ़ के शहरी जिलों में डेंगू का प्रकोप पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है। इनमें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़ के साथ ही बस्तर भी शामिल हैं। ये जिले एक तरह से डेंगू हॉट स्पॉट माने जा सकते हैं। वर्ष 2023 में प्रदेश में डेंगू के करीब 733 केस और वर्ष 2024 में 762 केस मिले थे। इधर, स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि ‘समन्वित रणनीतियों तथा व्यापक जनजागरुकता अभियानों के परिणामस्वरूप वर्ष 2025 की पहली तिमाही में डेंगू के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। जनवरी से अप्रैल माह के दौरान छत्तीसगढ़ में डेंगू के मामलों में 65 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में किए जा रहे सुदृढ़ प्रयासों की प्रभावशीलता को दर्शाती है।’ हालांकि, डेंगू का प्रकोप प्री-मानसून और बारिश के मौसम में ज्यादा होता है, तो अभी ये मौसम आया नहीं है। सरकार को चाहिए कि डेंगू-मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों से बचाव और रोकथाम के लिए वर्तमान वातावरण और परिस्थितियों के मुताबिक कार्ययोजना बनाए और उसे प्राथमिकता से लागू करे ताकि इन बीमारियों का प्रकोप कम किया जा सके।