JEE Advanced 2025: जूनियर्स के लिए सलाह
अगर कोर्स और नोट्स को प्रॉपरली फॉलो कर लें तो 80 प्रतिशत तैयारी हो जाती है। उनका मानना है कि तैयारी में डिजिटल डिस्ट्रैक्शन से बचना जरूरी है। उन्होंने मोबाइल का इस्तेमाल केवल वॉट्सऐप पर नोट्स लेने के लिए किया। किंशुक बताते हैं कि 10वीं में वे चेस और क्रिकेट दोनों खेलते थे। मैंने नेशनल लेवल पर चेस खेला है। शतरंज से पेशेंस आता है और दिमाग तेज होता है।
रूटीन और मोटिवेशन
किंशुक रोज रात 10 बजे सो जाते थे और सुबह 4 बजे पढ़ाई शुरू करते थे। वे बताते हैं कि 11वीं में उनके सीनियर अखिलेश अग्रवाल को एआईआर 155 मिली थी। उन्हें देखकर लगता था कि ये बहुत मुश्किल है, लेकिन वही मेरे मोटिवेशन बन गए। अब फिल्में देखने की बारी
किंशुक को हॉलीवुड फिल्में देखना पसंद है। उन्होंने बताया, तैयारी के दौरान देखना बंद कर दिया था, अब फिर देखूंगा। पढ़ने के शौक पर बोले, पांचवीं में एक किताब पढ़ी थी, उसके बाद से नहीं पढ़ा।
कोचिंग बनाम चैटजीपीटी
क्या चैटजीपीटी कोचिंग का विकल्प बन सकता है? इस सवाल पर किंशुक मुस्कुराते हुए कहते हैं, नहीं, चैटजीपीटी उस स्तर तक नहीं पहुंचा है। किताबें तो पढ़नी ही होंगी। भविष्य की योजनाएं खुली
मैंने फिलहाल तय नहीं किया है कि कैंपस प्लेसमेंट लूंगा या हायर स्टडी करूंगा। मेरा मानना है कि सारे ऑप्शन खुले रखें तो बेहतर सोच पाते हैं। पहले से तय कर लेने से प्रेशर बढ़ता है।
एआई से डरना नहीं, खुद को अपडेट करते रहना जरूरी
कबीर नगर के छात्र पृथ्वी देवांगन ने 946 रैंक प्राप्त की है। वे बताते हैं कि उनके पिता सुशील कुमार जॉब करते हैं जबकि उनकी मां शशिकला देवांगन गृहिणी हैं। पढ़ाई की तैयारी के बारे में पृथ्वी कहते हैं, टेस्ट में जो कमजोरियां सामने आईं, उन्हें सुधारने पर मैंने ज्यादा फोकस किया। क्लास खत्म होने के बाद रात में भी पढ़ाई जारी रखता था। एआई के बढ़ते प्रभाव पर उन्होंने कहा, मानव का मुकाबला अभी एआई से नहीं हो सकता। एआई का सही इस्तेमाल करने के लिए भी कौशल (स्किल) चाहिए। इसलिए जरूरी है कि हम खुद को लगातार अपग्रेड करते रहें। नौकरियों पर एआई के प्रभाव के सवाल पर पृथ्वी का मानना है, एआई नौकरियां जरूर छीन सकता है, लेकिन इसका मतलब ये है कि हमें खुद को अपडेट करते रहना होगा, ताकि बदलते दौर में भी हम टिक सकें।
लक्ष्य मैथ्स मेंरिसर्च करना
टाटीबंध के सरोना निवासी तनीशा अग्रवाल ने 2407 रैंक हासिल की। तनीशा ने बताया, पढ़ाई का शेड्यूल काफी टाइट था, लेकिन मुझे पढ़ाई में आनंद भी आता था। मेरी आदत थी कि मैं जल्दी सुबह पढ़ाई करती थी। मैंने पिछले दो सालों में घर के किसी भी काम में हिस्सा नहीं लिया, क्योंकि मेरे माता-पिता भी चाहते थे कि मेरा पूरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर हो। मेरा लक्ष्य मैथ्स में रिसर्च करना है। पढ़ाई के अलावा तनीशा डांस भी करती हैं। वे कहती हैं, फिटनेस बनाए रखने में डांस की अहम भूमिका होती है। तनीशा के पिता हनुमान अग्रवाल व्यवसायी हैं और माता रंजीता अग्रवाल गृहिणी हैं।