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JoSAA Counselling 2025: 3 जून से शुरू होगी जोसा काउंसलिंग, 580 सीटें छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों के लिए रिजर्व… जानें पूरी Details गणवेश और पुस्तकों के मसले को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा भी यह सत आदेश पारित किया गया है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत भर्ती प्रवेश लिए विद्यार्थियों को प्राइवेट स्कूलों द्वारा भी गणवेश एवं पुस्तकें उपलब्ध करानी हैं, लेकिन स्कूल मनमानी कर रहे हैं। अब जब बात स्कूल प्रबंधन तक पहुंची है तो उनका कहना है कि पैसे स्कूल अकाउंट में ही जमा है बच्चों को जल्द ही दे दिए जाएंगे। लेकिन इतने सालों का देखे तो पैसा करोड़ों में जाता है। यानी आरटीई के पैसे से पैसा बनाने का काम किया जा रहा है। वहीं, जानकारों का यह भी कहना है कि पैसे का का उपयोग कर लिया गया है।
बच्चे जो 6वीं में थे, वो अब 9वीं-10वीं में जानकारी के अनुसार, कोविड के समय से ही डीएवी
स्कूल में कोई भी ड्रेस के लिए पैसे नहीं दिए गए हैं, जिसके कारण अब उन बच्चों को भी खोजना मुश्किल है। कई बच्चे जो उस समय 6वीं में थे अभी 9वीं-10वीं में पढ़ाई कर रहे हैं। कई बच्चे ही नहीं मिल रहे हैं। जिन बच्चों ने स्कूल छोड़् दिया है उन्हें खोजना तो मुश्किल लग रहा है। स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार, पहली से 8वीं तक के बच्चों को ड्रेस के लिए पैसे दिए जाते हैं। बच्चों ने भी बताया कि हमें कोई भी पैसे नहीं दिए गए हैं।
मॉडल स्कूलों के संचालन के लिए दिया डीएवी प्रबंधन को: सीबीएसई पाठ्यक्रम पर आधारित मॉडल स्कूलों का संचालन पूर्व भाजपा सरकार में किया गया था। सरकार की मंशा थी कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले स्कूली विद्यार्थियों को आज की प्रतिस्पर्धा के अनुरूप तैयार किया जाए। मॉडल स्कूलों का संचालन करने के दौरान ही इन स्कूलों को डीएवी प्रबंधन के सुपुर्द कर दिया गया था। डीएवी प्रबंधन द्वारा सारी व्यवस्था सुनिश्चित की जा जाती है। अनुबंध के अनुरूप राज्य सरकार की ओर से भी आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
पैरेंट्स को बताते नहीं है जानकारी के अनुसार, डीएवी स्कूल में आरटीई के तहत बच्चों को मिलने वाले सुविधाओं के बारे में पैरेट्स और बच्चों को नहीं बताया जाता है। इसके कारण किसी को जानकारी भी नहीं होती है कि उन्हें कुछ पैसे भी ड्रेस के लिए दिए जाएंगे। आरटीई के तहत प्रवेश होने के बाद भी अभिभावकों को अपने पैसे लगाकर ही ड्रेस लेने पड़ते हैं।
कोविड के समय किसी कारणों से पैसे नहीं दिए गए थे। अब तक जो भी पैसे बच्चों को नहीं दिए गए हैं। वो सारे पैसे स्कूल अकाउंट में जमा है। सरकारी पैसा है कोई भी अपने पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर नहीं कर सकता। उन पैसों को बच्चे या उनके पैरेंट्स के अकाउंट में ही भेजे जाएंगे। हर साल के ऑडिट में भी इसका जिक्र किया गया है कि पैसे स्कूल अकाउंट में है। पुराने बच्चे जिन्हें पैसे देने हैं उन्हें देख रहे हैं। मैंने अगस्त में जॉइन किया है, जो चीजें समझ में आ रही है उसे पूरा कर रहे हैं। काम स्लो है, लेकिन सभी को उनके पैसे दिए जाएंगे। सत्र 2024-25 का भी पैसा आ गया है उसे भी जल्द ही बच्चों को मिल जाएगा।
-असित बोस, प्राचार्य, डीएवी मुयमंत्री पब्लिक स्कूल, वरांजी सुलेंगा नारायणपुर स्कूल से मिल जानकारी के अनुसार, कोविड के बाद से बच्चों को पैसे कई कारणों से नहीं दिए गए हैं और पैसे स्कूल के अकाउंट में ही जमा है। जानकारी के अनुसार, सत्र 2020-21 में नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा में संचालित 13 डीएवी स्कूल में 7 हजार से ज्यादा बच्चे थे। इसके लिए लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से राशि दी गई थी। ड्रेस के लिए प्रति छात्र 400 रुपए के हिसाब से कुल 28 लाख 50 हजार 400 रुपए दिए गए थे। ऐसे में देखा जाए तो 6 साल में यह डेढ़ करोड़ से ज्यादा का होता है। जो डीएवी स्कूल मैनेजमेंट के खोते में है। इससे उन्हें ब्याज भी मिल रहा होगा।
कोविड के समय किसी कारणों से पैसे नहीं दिए गए थे। अब तक जो भहमारे जितने स्कूल है उनमें कुछ ही स्कूल हैं जहां से पैसे नहीं गए हैं। उसका कैल्कुलेशन किया जा रहा है। जल्द ही सभी बच्चों के अकाउंट में पैसे डाल दिए जाएंगे।
-प्रशांत कुमार,रीजनल ऑफिसर, डीएवी स्कूल, हुड़को भिलाई