जांच में पता चला था ब्लॉकेज मरीज की जांच में यह सामने आया कि मरीज की कोरोनरी आर्टरी में 95 फीसदी ब्लॉकेज (Blockage) है। हृदय के तीन प्रमुख वॉल्व- माइट्रल, एओर्टिक और ट्राइकस्पिड क्षतिग्रस्त हैं। इको कार्डियोग्राफी और कोरोनरी एंजियोग्राफी (Angiography) के बाद डॉक्टरों ने सर्जरी का निर्णय लिया। इसमें पहले ऑफ पंप बीटिंग हार्ट बाइपास सर्जरी की गई, जिसमें हृदय की धड़कन को बंद किए बिना हार्ट के कोरोनरी आर्टरी की बाइपास सर्जरी की गई। इसके बाद हार्ट-लंग मशीन की सहायता से हृदय और फेफड़ों को अस्थायी रूप से रोका गया। ऑपरेशन के दौरान हृदय के चैम्बर्स को खोलकर माइट्रल वॉल्व को मेटालिक कृत्रिम वॉल्व (Metallic Prosthetic Valve) से बदला गया। एओर्टिक वॉल्व को विशेष तकनीक से रिपेयर किया गया और ट्राइकस्पिड वॉल्व को रिंग लगाकर सुधारा गया।
सर्जरी की ख़ास बातें यह एक उच्च जोखिम वाली सर्जरी थी, क्योंकि मरीज की ईएफ (Ejection Fraction) कम तो थी ही एवं एक ही साथ बहुत सारी अन्य सर्जरी भी शामिल थी। इस बाइपास में आर्टेरियल ग्राफ्ट का प्रयोग किया गया, जो अधिक टिकाऊ होता है। एओर्टिक वॉल्व (Aortic Valve) रिपेयर केवल चुनिंदा चिकित्सा संस्थानों में संभव होता है। सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति स्थिर है और वे शीघ्र ही अस्पताल से डिस्चार्ज लेकर घर लौटने वाली हैं।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विवेक चौधरी एवं अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने डॉ. कृष्णकांत साहू और उनकी टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। बता दें कि डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल रायपुर (Ambedkar Hospital Raipur) के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग को सतत् उत्कृष्ट कार्य, नवाचार एवं मरीजों की सेवा के लिए जाना जाता है।