केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास शिवराज सिंह चौहान ने अपने पत्र में कहा है, कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसानों की आय में स्थिरता बनाए रखने के लिए उन्हें गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उचित समय पर, सुलभ दरों पर और मानक गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया, उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 (जो कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत आते हैं) के तहत नकली अथवा निन गुणवत्ता वाले उर्वरक की बिक्री प्रतिबंधित है।
CG News: विधानसभा में उठा है मामला
खाद की कालाबाजारी का मुद्दा
विधानसभा के मानसून सत्र में भी प्रमुखता से उठा था। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सहकारी सोसाइटियों की जगह निजी दुकानों को खाद का अधिक आवंटन किया गया है। इससे सोसाइटियों में खाद की कमी है और दुकानदार इसकी कालाबाजारी कर रहे हैं। हालांकि कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।
केंद्र सरकार ने दिए ये जरूरी निर्देश
- किसानों को सही स्थान और उन जगहों पर जहां इनकी जरुरत है, पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराना राज्यों की जिम्मेदारी है।
- राज्य कालाबाजारी, अधिक मूल्य पर बिक्री तथा सब्सिडी वाले उर्वरकों के डायवर्जन जैसी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी एवं त्वरित कार्रवाई करें
- उर्वरक के निर्माण एवं बिक्री की नियमित निगरानी तथा सैंपलिंग एवं परीक्षण के माध्यम से नकली एवं निन गुणवत्ता वाले उत्पादों पर सत नियंत्रण किया जाए
- पारंपरिक उर्वरकों के साथ नैनो-उर्वरक अथवा जैव-उत्तेजक उत्पादों की जबरन टैगिंग को अविलंब रोका जाए।
- दोषियों के विरुद्ध लाइसेंस निरस्तीकरण, प्राथमिकी पंजीकरण सहित सत कानूनी कार्रवाई की जाए एवं मामलों का प्रभावी अनुसरण कर दंड सुनिश्चित किया जाए।
- राज्यों को फीडबैक एवं सूचना तंत्र विकसित कर किसानों/किसान समूहों को निगरानी प्रक्रिया में शामिल करने, एवं किसानों को असली व नकली उत्पादों की पहचान के लिए जागरूक करने का प्रयास करें।