ऐसे में देखा जाए तो यह साफ हो जाता है कि पिछले साल की तरह ही इस साल भी आरटीई की सीटें रिक्त रह जाएंगी, क्योंकि दाखिले और चयनित दोनों के आंकडों को देखा जाए तो लगभग 5 हजार सीटें रिक्त बचेंगी। प्रवेश प्रक्रिया के बाद यह संख्या और बढ़ भी सकती है। प्रवेश नियम में खामी समेत कई कारणों से पिछले साल की तरह ही इस साल भी
आरटीई की सीटें खाली रह जाएगी। पहले चरण में रायपुर में आरटीई प्रवेश के लिए 4510 आवेदन चयनित किए गए थे और 425 सीटें रिक्त रह गई थी। अभी दूसरे राउंड के बाद भी लगभग 365 सीटें रिक्त हैं। दूसरे चरण में चयनित छात्र-छात्राओं को 10 अगस्त तक प्रवेश लेना होगा।
इन कारणों से खाली रह जाती हैं सीटें
कई स्कूल शहर या बसाहट से दूर हैं इस कारण कई बच्चे प्रवेश लेना नहीं चाहते हैं। छात्र-छात्राएं हिन्दी मीडियम स्कूल में प्रवेश लेना नहीं चाहते हैं। इस कारण भी सीटें खाली रह जाती हैं। सामाजिक परिवेश के कारण भी सीटें खाली रह जाती हैं। कई परिवार वालों को अंग्रेजी का ज्ञान न होने के कारण वे स्कूल में प्रवेश लेेने के बाद भी नाम वापस ले लेते हैं।
प्रवेश नियम में खामी से भी सीटें खाली रह जाती हैं। नियम के अनुसार, 2011 की गरीबी रेखा सूची को माना जाता है लेकिन ये सूची काफी पुरानी होने के कारण ऐसे कई परिवार जिनके लिए प्रवेश जरूरी है वे इसमें आवेदन नहीं कर पाते हैं।
पिछले साल थी 8 हजार सीटें खाली
बीते सत्र में प्रदेश भर के 6,749 निजी स्कूलों में 54,367 सीटें थी। इनमें 46,219 सीटों में दाखिला हुआ। जबकि 8,000 सीटें खाली रह गईं। वहीं, एक लाख 22 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे। फिर भी सीटें नहीं भर पाई। यह स्थिति तब बनी है, जब सीटों की संया से दोगुने आवेदन आए थे। वहीं, रायपुर जिले में लगभग 1,000 सीटें खाली रह गई थीं।