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रायपुर

बीमारी छिपाने का आरोप, क्लेम किया खारिज, अब देना होगा 50.13 लाख

एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने बीमा कराने बीमारी का हवाला देकर क्लेम को खारिज कर दिया। साथ ही बीमा प्रस्ताव पत्र में अपने पूर्व की बीमारी और इलाज के संबंध में गलत जानकारी देना बताया।

रायपुरJun 22, 2025 / 12:10 am

Rabindra Rai

बीमारी छिपाने का आरोप, क्लेम किया खारिज, अब देना होगा 50.13 लाख

बीमारी छिपाने का आरोप, क्लेम किया खारिज, अब देना होगा 50.13 लाख

राज्य उपभोक्ता आयोग की ली शरण

क्लेम की राशि नहीं मिलने पर मृतक की पत्नी ने जिला उपभोक्ता आयोग कांकेर ने परिवाद लगाया। बीमा कंपनी को आदेशित किया गया कि वह बीमा दावा की राशि का भुगतान महीनेभर के भीतर करें। इस आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। जहां आयोग अध्यक्ष गौतम चौरडि़या ने बीमा कंपनी की दलील को खारिज करते हुए 50 लाख रुपए का भुगतान 27 दिसंबर 2023 से 7 फीसदी वार्षिक साधारण ब्याज के साथ करने और 13 हजार रुपए मानसिक कष्ट और 3000 रुपए वाद व्यय का देने आदेशित किया।

नियमानुसार पॉलिसी की रकम का भुगतान

बस्तर के केशकाल स्थित ग्राम सुरडोंगर निवासी श्रवण सलाम ने 2019 में एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था। साथ ही नियमानुसार पॉलिसी की रकम का भुगतान कर रहे थे। बीमा अवधि के दौरान 16 जून 2021 स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण मृत्यु हो गई। इसके क्लेम के लिए उनकी पत्नी सावित्री सलाम ने क्लेम किया। लेकिन एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बीमा प्रस्ताव पत्र में अपने पूर्व की बीमारी एवं इलाज के संबंध में गलत जानकारी दी। क्लेम खारिज करने पर मृतक के पत्नी ने जिला उपभोक्ता फोरम कांकेर के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था।

कंपनी ने कहा गलत जानकारी दी

बीमा कंपनी ने जिला फोरम में अपना बचाव करते हुए कहा कि बीमा लेने के पहले से श्रवण सलाम शुगर और हृदय रोग से पीड़ित थे। एम्स रायपुर के उनके चिकित्सीय अभिलेख में हिस्ट्री के रूप में टीप की गई थी। इसके आधार पर बीमा दावा को प्रस्ताव पत्र में स्वास्थ्य संबंधी गलत जानकारी देने के आधार पर खारिज किया गया है। जिला फोरम ने शिकायत को स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को आदेशित किया कि क्लेम की राशि का भुगतान करें। लेकिन, क्लेम नहीं देने राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष चुनौती देते हुए अपील प्रस्तुत की गई। इसकी सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि मात्र एम्स रायपुर के चिकित्सा अभिलेख में की गई टीप को आधार बनाकर बीमा दावा खारिज किया गया था। इसका कोई दस्तावेजी साक्ष्य और चिकित्सकीय अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि बीमित व्यक्ति बीमा प्रस्ताव करने के पहले मधुमेह एवं हृदय रोग से पीड़ित थे।

भुगतान करना ही पड़ेगा

वहीं, पूर्व में कोई चिकित्सा या किसी दवाई का सेवन कर रहे थे और उन बीमारियों के संबंध में बीमा प्रस्ताव करने के पूर्व कोई जानकारी थी। इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि बीमित ने जानबूझकर उसकी पूर्व बीमारियों के संबंध में कोई महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्ताव में छुपाया था। एसबीआई को जीवन बीमा कंपनी को 50.13 लाख रुपए का भुगतान करना ही पड़ेगा।

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