राज्य बनने के बाद महादेवघाट में काफी बदलाव हुआ है। खारुन नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए एक अलग से विसर्जन कुंड बनाया, जहां अब गणेश और दुर्गा प्रतिमाएं विसर्जित की जाती हैं। हालांकि नालों की गंदगी सीधे नदी में गिरने से खारुन दूषित हो रही है, लेकिन महादेवघाट के दोनों तरफ पाथवे और घाट बनाने के साथ ही महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन के क्षिप्रा नदी जैसा लक्ष्मण झूला भी बनाया गया है, जो अमलेश्वर घाट तरफ को जोड़ता है। इसके बावजूद महादेवघाट परिसर एक धार्मिक कॉरिडोर के रूप में विकसित नहीं हो पाया है। इसी प्लान पर नगर निगम काम करने जा रहा है।
यहीं से राजधानी में एंट्री
महादेवघाट शहर का ऐसा धार्मिक स्थान है, जहां नदी के उत्तरी तट पर हटकेश्वर महादेव के मंदिर के साथ ही अनेक देवी-देवताओं के छोटे-छोटे पुराने मंदिर हैं, जो जर्जर हो रहे हैं। इस स्थान के विकसित होने से पुराने मंदिरों का भी जीर्णोंद्धार होगा। दूसरी तरफ नदी के दक्षिण तट पर खारुनेश्वर महादेव का मंदिर बन रहा है। इसी के करीब नदी पर 1983 में बने ओवरब्रिज रायपुर और दुर्ग जिले को आपस में जोड़ते हैं। इसलिए राजधानी में प्रवेश करते ही एक भव्य द्वार महादेवघाट की अलग पहचान बनाएगा। ऐसा खाका तैयार कराया गया है।
कारगर साबित होगी मुख्यमंत्री नगरोत्थान योजना
महादेवघाट क्षेत्र नगर निगम के जोन-8 में आता है। इस धार्मिक स्थल पर सर्वसुविधा से विकसित करने के लिए महापौर मीनल चौबे ने अपने पहले बजट में भी शामिल किया है, वह अब मुख्यमंत्री नगरोत्थान योजना के तहत साकार होने जा रही है। विधायक राजेश मूणत की पहल पर महादेवघाट के विकास के लिए फेस-1 के तहत 19.99 करोड़ की स्वीकृति मिली है। इस राशि से काम कराने के लिए प्लानिंग की गई है। टेंडर प्रक्रिया संचालनाय नगरीय प्रशासन द्वारा की जा रही है। इस धार्मिक और सांस्कृतिक परिसर में कई सामाजिक भवन संचालित हो रहे हैं। वहीं, खाली जगह में मेले के दौरान झूले लगते हैं और नदी तक जाने वाली मुख्य सड़क के दोनों तरफ दुकानें लगती है, जिसे व्यविस्थत करने पर काम होगा। महादेवघाट धार्मिक आस्था और सनातन सांस्कृतिक केंद्र है, जिसे आकर्षक स्वरूप दिया जाना है। नगरोत्थान योजना के तहत काम होगा। यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पूरी होने पर महादेवघाट को संवारने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा।
मीनल चौबे, महापौर, रायपुर