Independence Day 2025: देशप्रेम की चढ़ाई: छत्तीसगढ़ के पर्वतारोही और उनका गौरवशाली सफर, जानें
Independence Day 2025: आजादी का पर्व केवल इतिहास को याद करने का दिन नहीं, बल्कि उन अनगिनत नायकों को सलाम करने का अवसर भी है, जिन्होंने अपने साहस और समर्पण से तिरंगे को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
देश-विदेश की ऊंची चोटियों पर फहराया तिरंगा (फोटो सोर्स- पत्रिका)
Independence Day 2025: आजादी का पर्व केवल इतिहास को याद करने का दिन नहीं, बल्कि उन अनगिनत नायकों को सलाम करने का अवसर भी है, जिन्होंने अपने साहस और समर्पण से तिरंगे को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। छत्तीसगढ़ के कई युवा पर्वतारोही ऐसे ही प्रेरणास्रोत हैं, जिन्होंने देश-विदेश की ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहराकर यह साबित कर दिया कि मेहनत और जज्बे के आगे कोई भी शिखर ऊंचा नहीं।
बस्तर से लेकर बिलासपुर और रायपुर तक, इन पर्वतारोहियों की कहानियां केवल सफलता की नहीं, बल्कि संघर्ष, साहस और देशप्रेम की अद्भुत मिसाल हैं। माइनस तापमान, तेज हवाओं और बर्फीली चोटियों पर कठिन चढ़ाई के बीच भी इनके कदम कभी नहीं रुके। हर शिखर पर पहुंचकर इन युवाओं ने गर्व से तिरंगा फहराया और देश को संदेश दिया कि असली ऊंचाई वही है, जहां राष्ट्रध्वज लहराता है।
स्वतंत्रता दिवस पर इन पर्वतारोहियों का जज्बा प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनके साहसिक अभियान यह साबित करते हैं कि चुनौतियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, मजबूत इरादा और देशप्रेम से हर शिखर को जीता जा सकता है। इस स्वतंत्रता दिवस पर आइए, जानते हैं उन युवाओं को, जिनके हाथों से हर शिखर पर तिरंगा लहराया।
नैना सिंह धाकड़
बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ ने वह कर दिखाया, जो प्रदेश में किसी महिला ने पहले नहीं किया था। उन्होंने न केवल माउंट एवरेस्ट, बल्कि विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी माउंट ल्होत्से पर भी तिरंगा फहराया। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद नैना ने अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया। पर्वतारोहण के हर कदम पर उन्होंने कठिन मौसम, ऑक्सीजन की कमी और शारीरिक थकान को मात दी। उनकी सफलता ने छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लिए नए दरवाजे खोले और यह साबित किया कि साहस, संकल्प और मेहनत से कोई भी ऊंचाई पाई जा सकती है।
निशा यादव
बिलासपुर की निशा यादव, जिनके पिता ऑटो चालक हैं। निशा ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर 5895 मीटर की ऊंचाई पर तिरंगा लहराया। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने जुनून को थामा और कठिन ट्रेनिंग के बाद यह उपलब्धि हासिल की। मुयमंत्री के सहयोग और अपनी कड़ी मेहनत के बल पर निशा ने साबित किया कि सपनों को पंख मिलते हैं, जब जिद और मेहनत साथ हो। उनके इस कारनामे ने न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे प्रदेश को गर्व से भर दिया। निशा आज उन सभी के लिए मिसाल हैं, जो हालात को बहाना बनाकर अपने सपनों से दूर हो जाते हैं।
राहुल गुप्ता
रायपुर के पर्वतारोही राहुल गुप्ता को लोग माउंटेन मैन कहते हैं। २०१८ में माउंट एवरेस्ट फतह करने के बाद उन्होंने 15 अगस्त 2024 को ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोजिअस्को पर तिरंगा फहराया था। ठंड, बर्फीली हवाओं और दुर्गम रास्तों को पार करते हुए उन्होंने यह कारनामा अंजाम दिया। राहुल का मानना है कि हर भारतीय को अपने क्षेत्र में ऐसा काम करना चाहिए, जिससे देश का नाम रोशन हो। उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ व्यक्तिगत गौरव है, बल्कि प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा भी है, कि सपनों के साथ हिमत हो तो कोई भी शिखर दूर नहीं। उनके साथ विभिन्न राज्यों के 11 पर्वतारोही भी शामिल थे।
मिशन ‘हर शिखर तिरंगा’
कर्नल रणवीर सिंह जामवाल के नेतृत्व में शुरू हुए मिशन ‘हर शिखर तिरंगा’ के तहत छत्तीसगढ़ की ऊंची चोटी गौरलाटा (1225 मीटर) पर तिरंगा फहराया गया। इस अभियान में स्थानीय युवाओं ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने कठिन चढ़ाई के बीच राष्ट्रीय ध्वज को शिखर तक पहुंचाया। इस मिशन का उद्देश्य था—हर राज्य के सर्वोच्च शिखर पर तिरंगा लहराना और युवाओं में देशप्रेम की भावना जगाना। गौरलाटा की चढ़ाई ने साबित किया कि एकजुट होकर और टीमवर्क के दम पर कोई भी लक्ष्य पाया जा सकता है।
इस स्वतंत्रता दिवस पर जब हम तिरंगे को सलामी देंगे, तो इन युवाओं को भी याद करें जिन्होंने पहाड़ों की चोटियों पर उसे लहराकर भारत की शान को दुनिया के सामने गर्व से पेश किया।
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