CG Medical College Scam: आरोपी प्रोफेसर हो गए रिटायर
पिछले साल मार्च में पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद शासन ने तत्कालीन कमिश्नर जेपी पाठक को पत्र लिखकर
आरोपी को आरोपपत्र देने को कहा था। मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण बात आई-गई हो गई, जबकि शासन ने कोरोनाकाल में 2.65 करोड़ की दवा व उपकरण खरीदी घोटाले में तत्कालीन एडिशनल डायरेक्टर को सस्पेंड कर दिया था। तब लग रहा था कि सिकलसेल संस्थान के घोटालेबाजों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय में फाइल दो साल अटकी हुई थी, लेकिन मार्च 2024 में फाइल में कुछ मूवमेंट हुआ। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि सितंबर 2017 से जुलाई 2021 तक लोगों की स्क्रीनिंग पूरी तरह बंद रही। स्क्रीनिंग में संस्थान की टीम स्कूलों में जाकर छात्र-छात्राओं की जांच करती है कि कहीं वे सिकलसेल के मरीज या कैरियर तो नहीं है। इसी दौरान अधिकारियों ने स्टाफ के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया।
स्क्रीनिंग के लिए फंड को दूसरे मद में किया खर्च
अधिकारियों ने स्क्रीनिंग के लिए मिले फंड को दूसरे मद में खर्च कर दिया। इस मामले में शासन ने तीन कर्मचारियों को सस्पेंड किया, लेकिन मुख्य आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। सस्पेंड कर्मचारी
हाईकोर्ट के आदेश के बाद बहाल भी हो चुके हैं।
आरोपी डायरेक्टर जनरल के खिलाफ शासन ने 9 मार्च 2020 को जांच के आदेश दिए थे। तत्कालीन डीएमई ने 2 दिसंबर 2020 को जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी में डीन डॉ. विष्णु दत्त, आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनीत जैन व वित्त विभाग की जेडी सुषमा ठाकुर ने मामले की जांच की थी।
वॉल पेंटिंग की व गार्डन को सजा दिया, उठे सवाल
2018-19 में 11.31 लाख रुपए के फर्नीचर व कम्प्यूटर सामग्री व 4.69 लाख रुपए के गार्डन व वॉल पेंटिंग कार्य किया गया। यही नहीं 2.76 लाख का बिल्डिंग मेंटेनेंस भी करवा लिया गया। जबकि ये फंड
सिकलसेल मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए था।
इसी साल 2.61 लाख की लैब सामग्री कोटेशन के अनुसार खरीदी गई। वर्ष 2019-20 में 9.05 लाख की लैब सामग्री व 1.39 लाख की दवा की खरीदी नियम विरुद्ध की गई। इस पर भी जांच कमेटी ने सवाल उठाए थे। कमेटी ने डायरेक्टर जनरल के साथ तीन कर्मचारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी।