राने पुल की खासियतों की भी होगी जांच
रेलवे इस साल ही NDT, अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग, रेडियोग्राफी, मैग्नेटिक पार्टिकल टेस्टिंग, और लेजर स्कैनिंग जैसी तकनीकों से पुल के पिलर, गर्डर और अन्य संरचनात्मक हिस्सों की स्थिति का मूल्यांकन करेगा। साथ ही ड्रोन और रिमोट प्रोसेस्ड एरियल व्हीकल तकनीक का भी उपयोग होगा।
42 फीट गहरी नींव का भी मूल्यांकन होगा
पुल में 19वीं सदी में इस्तेमाल की गई सामग्रियों जैसे 30 लाख क्यूबिक ईंटें, गारा और 4,300 टन स्टील गर्डर की रासायनिक और भौतिक गुणवत्ता का अध्ययन किया जाएगा, ताकि समझा जा सके कि ये इतने लंबे समय तक कैसे टिके रहे। पुल के अनोखे “हाथी पांव” आकार के पिलर और न्यूमेटिक केसन विधि से बनी 42 फीट गहरी नींव का भी मूल्यांकन होगा।
नए पुल के डिजाइन और निर्माण
वर्तमान में इस पुल से 200 से अधिक ट्रेनें प्रतिदिन गुजरती हैं, जिनकी गति लगभग 80 किमी/घंटा है। इसके निचले डेक से हल्के वाहनों का यातायात भी चलता है। शोध के आधार पर मरम्मत और रखरखाव की नई रणनीतियां तैयार की जाएंगी, जो नए पुल के डिजाइन और निर्माण में भी मदद करेंगी। इस परियोजना में रेलवे रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और निजी इंजीनियरिंग कंपनियां शामिल हो सकती हैं। नैनी पुल पर पहली बार 15 अगस्त 1865 को ट्रेन चली थी, और 1927-29 में इसके गर्डर बदले गए थे। कुंभ 2031 से पहले नया समानांतर पुल तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।