प्रतापगढ़ जिले के महेशगंज थाने में तैनात उपनिरीक्षक जितेंद्र सिंह एक मुकदमे की विवेचना कर रहे थे। जांच के दौरान उन्होंने कथित रूप से आरोपी से समझौता करने के बदले रिश्वत की मांग की। पहले तो दरोगा ने फोन पर बातचीत में पैसे की डिमांड रखी। लेकिन जब मुलाकात हुई तो वहीं पैसे देने की बात दोहराई। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान आरोपी पक्ष ने न सिर्फ ऑडियो रिकॉर्डिंग कर ली। बल्कि वीडियो भी बना लिया। जो बाद में उनके लिए साक्ष्य साबित हुआ।
सीओ की जांच में आरोपी की हुई पुष्टि
रिश्वतखोरी से आजिज आकर शिकायतकर्ता सीधे पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार के पास पहुंचा। सबूतों सहित दरोगा के भ्रष्ट आचरण की शिकायत की। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एसपी ने तत्काल प्रभाव से क्षेत्राधिकारी (सदर) को पूरे मामले की जांच सौंपी। जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जांच में जब आरोपी उपनिरीक्षक के खिलाफ लगे आरोपों की पुष्टि हो गई। तो एसपी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जितेंद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराने और गिरफ्तारी के आदेश दे दिए।
अपने ही थाने में गिरफ्तार हुआ दरोगा
चौंकाने वाली बात यह रही कि आरोपी दरोगा को उसी थाने की पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया। जहां वह तैनात था। गिरफ्तारी के तुरंत बाद एसपी ने उपनिरीक्षक जितेंद्र सिंह को निलंबित करने का आदेश भी जारी कर दिया। प्रतापगढ़ एसपी की इस कार्रवाई को आमजन ने सराहा है। वहीं विभाग के भीतर यह एक सख्त चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। कि ड्यूटी में लापरवाही और भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अपर पुलिस अधीक्षक बोले-उच्चाधिकारियों के निर्देश पर हुई कार्रवाई
इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी) संजय राय ने बताया कि जैसे ही मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को हुई। पुलिस अधीक्षक ने सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी को निलंबित कर मुकदमा दर्ज करने और तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे। पूरे मामले में पुलिस की तत्परता और निष्पक्ष कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे आरोपी कोई भी हो।