इसलिए सरकार की नीयत पर हमें संदेह
पायलट ने कहा कि जहां जनगणना कराने में 8-10 हजार करोड़ रुपए खर्च होते हैं, वहां सरकार ने 570 करोड़ रुपए बजट में आवंटित किए हैं। इससे सरकार की नीयत का पता चल रहा है। उन्होंने कहा कि जुलाई 2021 में सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि जनगणना के साथ जाति जनगणना का कोई निर्णय नहीं किया गया है। वहीं सितम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने एफिडेविट देकर कहा कि जाति जनगणना अलग रहेगी। सिर्फ एससी, एसटी को शामिल किया जाएगा। जाति जनगणना की मांग पर अप्रेल 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस को अर्बन नक्सलियों की सोच वाले लोग बता दिए। यह जो पूरा घटनाक्रम है, जिससे पता चलता है कि जनता के बीच भ्रम कौन फैला रहा है।महिला आरक्षण की तरह जाति जनगणना
पायलट ने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ ध्यान भटकाने के लिए जातिगत जनगणना में देरी कर रही है। ये वैसा ही कदम है, जैसे महिला आरक्षण के साथ किया गया। सरकार को इस पर राजनीति बंद कर प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए और राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल को अपनाना चाहिए।जातिगत जनगणना से यह भी जाना जाए
1. देश में अलग-अलग वर्ग के लोग किन स्थितियों में रह रहे हैं?2. लोग सरकार की योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं या नहीं?
3. लोगों की देश और संस्थाओं में कितनी भागीदारी है?
4. देश के लोगों की शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति क्या है?08:20 AM