देश में नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे पर गाड़ियों की अधिकतम रफ्तार को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। (फोटो सोर्स : पत्रिका)
एक दिन पहले ही नोएडा से जयपुर लौटे थे कि अल सुबह मोबाइल पर आए एक मैसेज ने यात्रा का सारा आनंद काफूर कर दिया। SMS रोड एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री का था, जिसमें हाईवे पर ओवरस्पीडिंग के लिए 1000 रुपये का चालान कटने की खबर थी। जानकार बताते हैं कि हाईवे या एक्सप्रेस वे पर स्पीड लिमिट तोड़ने पर चालान ऑटोमैटिक तरीके से कट सकता है, क्योंकि अब देशभर के कई हाईवे और एक्सप्रेसवे पर स्पीड गन लगाए जा चुके हैं। लेकिन एक और पैमाना है जिससे यात्रा कितने समय में पूरी हुई, इसकी खबर लग जाती है।
एवरेज स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम पकड़ता है ओवरस्पीडिंग
जी हां, यह तरीका है Toll Plaza पर लगा एवरेज स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम। मसलन आप जब किसी 200 किमी लंबे एक्सप्रेस वे पर पहले टोल प्लाजा से गुजरते हैं तो आपके गाड़ी के नंबर के साथ टाइम भी दर्ज हो जाता है। अब अगर उस एक्सप्रेस वे पर कार की स्पीड लिमिट 100 किमी प्रति घंटा है और आपने अंतिम टोल प्लाजा 2 घंटे से पहले पार कर लिया तो ओवर स्पीडिंग पर चालान कटना तय है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्पीड लिमिट के आधार पर पहले टोल से अंतिम तक पहुंचने में कम से कम 2 घंटे का समय लगेगा और अगर आप 1 मिनट भी पहले पहुंचते हैं तो यह ओवर स्पीडिंग के दायरे में आएगा।
1000 से 6000 रुपये तक कटता है चालान
बता दें कि देश में नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस वे पर गाड़ियों की अधिकतम रफ्तार को लेकर मिनिस्ट्री ने कड़े नियम बनाए हैं। उसके मुताबिक, हर वाहन श्रेणी के लिए अलग-अलग स्पीड लिमिट तय है, जो सड़क के टाइप पर निर्भर करती है। इसके आधार पर ही Light Motor Vehicle (LMV) के लिए ओवर स्पीडिंग पर 1000 से 2000 रुपये तक चालान कटता है जबकि Heavy Motor Vehicle के लिए पहली बार तेज भगाने पर 2000 से 4000 रुपये और बार-बार नियम तोड़ने पर 4000 से 6000 रुपये तक चालान कटता है।
किस रोड पर किस वाहन की कितनी स्पीड तय
सरकार ने 2018 में विभिन्न सड़कों पर वाहनों की अधिकतम रफ्तार तय की थी। कारें M1 कैटेगरी में आती हैं, जिसमें चालक के अलावा अधिकतम 8 यात्री बैठ सकते हैं। वहीं बसों और बड़ी पैसेंजर गाड़ियों की कैटेगरी M2 व M3 होती है। मालवाहक ट्रक और अन्य वाणिज्यिक वाहन N कैटेगरी में आते हैं।
एक्सप्रेस वे पर स्पीड 120 किमी/घंटा
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बताया था कि National HIghway भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) के मानकों के अनुसार बनाए जाते हैं, जिनका डिजाइन स्पीड एक्सप्रेसवे के लिए 120 और नेशनल हाईवे के लिए 100 किलोमीटर प्रति घंटा है। हालांकि, परिवहन वाहनों के लिए व्यावहारिक सीमा 80 किलोमीटर प्रति घंटा और निजी वाहनों के लिए 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक ही रखी गई है।
कैसे काम करता है एवरेज स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम
एक्सप्रेस वे पर अब सिर्फ एक जगह कैमरा देखकर स्पीड कम करना काम नहीं आएगा। एवरेज स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम टोल प्लाजा से टोल प्लाजा के बीच का समय और दूरी मापकर औसत रफ्तार निकालता है। अगर यह औसत तय सीमा से अधिक निकला तो चालान सीधे आपके पते पर भेज दिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि टोल के बीच हर समय तय स्पीड पर चलना चाहिए। लगातार उल्लंघन करने पर ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित होने का भी खतरा रहता है।
सड़क हादसों के खतरे को 60% तक कम करती है सामान्य गति
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि स्पीड लिमिट का पालन न केवल कानूनी कार्रवाई से बचाता है, बल्कि सड़क हादसों के खतरे को भी 60% तक कम करता है। इसलिए, यात्रा शुरू करने से पहले यह जरूर जांच लें कि आपके वाहन और सड़क के टाइप के हिसाब से अधिकतम स्पीड कितनी है ताकि सफर सुरक्षित और बिना चालान के पूरा हो।
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