scriptदशकों तक बाढ़ से बचाती रही हैं राजस्थान की ये 18 झीलें, ऐसा क्या हुआ ? डूबने लगे गांव और शहर | These 18 lakes of Rajasthan protecting from floods what happened Villages and cities started drowning | Patrika News
Patrika Special News

दशकों तक बाढ़ से बचाती रही हैं राजस्थान की ये 18 झीलें, ऐसा क्या हुआ ? डूबने लगे गांव और शहर

पिछले कई दशकों तक बाढ़ जैसी स्थितियों से बचाने वाली 18 झीलें और उनके चैनल बड़े पैमाने पर अतिक्रमण के शिकार हैं। ऐसे में कुछ सालों से घग्घर नदी अब रौद्र रूप दिखाने लगी है, पानी शहरों और गांवों को डुबाने लगा है।

श्री गंगानगरAug 05, 2025 / 02:38 pm

Kamal Mishra

Ghaggar River

घग्घर नदी का रौद्र रूप (फोटो-पत्रिका)

श्रीगंगानगर। घग्घर नदी में बाढ़ जैसी आपदा से बचने के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच झीलें और चैनल सरकार और विभाग की अनदेखी से खुद अतिक्रमणों के सैलाब में डूब रहे हैं। श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ जिले में हजारों एकड़ में फैली घग्घर की 18 झीलें एवं उनसे जुड़े चैनल (कट) पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो चुके हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद घग्घर बाढ़ नियंत्रण विभाग भी इनको हटाने में आनाकानी करता नजर आ रहा है।
हाल में ही नगरपालिका के मास्टर प्लान 2023-2047 के तहत वेपकॉस कंपनी की तरफ से करवाए गए सर्वे में भी घग्घर चैनलों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण सामने आए हैं, जिसके बाद सर्वे कंपनी को नक्शे में भारी फेरबदल करना पड़ा है। गौरतलब है कि घग्घर डिप्रेशनों व चैनलों पर हुए अतिक्रमणों के चलते दो वर्ष पूर्व घग्घर नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया था। जिससे कई हजार बीघा में फसलें और ढाणियां तक डूब गई थी।
flood

बाढ़ के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा कवच हैं झीलें

बरसाती घग्घर नदी के उफान को धीमा रखने और कस्बों को बाढ़ जैसी आपदा से बचाने के लिए सूरतगढ़ क्षेत्र की पन्द्रह एवं हनुमानगढ़ में तीन झीलें प्रकृति का वरदान हैं। जिनको डिप्रेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह सभी झीलें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं, जिनमें प्राकृतिक सीमा तक पानी भरने के बाद अपने आप ही एक से दूसरी झील में पानी पहुंचता है।

ओटू डेम बनने के बाद बिगड़े हालात

दशकों तक इन प्राकृतिक झीलों ने बाढ़ के पानी से शहरों और गांवों की सुरक्षा की है। हालांकि हरियाणा में ओटू डेम के निर्माण के बाद इन डिप्रेशनों में कई वर्षों तक पूर्व की भांति पानी नहीं पहुंच रहा था। इसके चलते यह डिप्रेशन अतिक्रमणों का शिकार होना शुरु हो गए। वहीं विभाग और प्रशासन ने भी घग्घर में बाढ़ के खतरे को नजरअंदाज करना शुरु कर दिया था। लेकिन गत वर्ष घग्घर में आए जलजले ने इन अनुमानों पर पानी फेर दिया।
flood

बहाव क्षेत्र भी नहीं अछूता, बाढ़ ने खोली पोल

राज्य सरकार ने 1967 के आसपास घग्घर बहाव क्षेत्र में 39 हजार 447.47 बीघा भूमि अवाप्त की थी। इस दौरान अधिकांश किसानों को अवाप्त भूमि के एवज में अन्य स्थानों पर भूमि आवंटित की थी। लेकिन प्रभावशाली किसानों ने इसका दोहरा लाभ उठाया।

किसानों ने नहीं की मुआवजे की मांग

उन्होंने अवाप्त भूमि का कब्जा भी नहीं छोड़ा और वैकल्पिक भूमि पर भी काबिज हो गए। अवैध काश्त का सबसे बड़ा उदाहरण दो वर्ष पहले देखने को मिला था, जब रायांवाली के समीप घग्घर में आए जलजले के दौरान डिप्रेशन में हजारों बीघा नरमा डूब गया था। लेकिन अवैध काश्त का मामला होने के कारण इसके मुआवजे की मांग नहीं की गई।
flood

पूर्व में जारी हुए थे 70 नोटिस लेकिन कार्रवाई शून्य

घग्घर बाढ़ नियंत्रण (जीएफसी) विभाग ने दो वर्ष पूर्व घग्घर में सैलाब आने पर अकेले शहर की सीमा से सटे पन्द्रह कट डिप्रेशन में 70 नोटिस जारी किए थे, लेकिन इनमें कार्रवाई शून्य रही। विभागीय अकर्मण्यता का लाभ उठाकर आज अतिक्रमणों की संख्या चौगुनी हो चुकी है। शहर के वार्ड संख्या तीन, चार व पांच में बड़े पैमाने पर घग्घर चैनल पर अतिक्रमण हो रखे हैं। लेकिन जीएफसी घग्घर बहाव क्षेत्र व डिप्रेशनों का रिकॉर्ड हनुमानगढ़ जीएफसी के पास उपलब्ध होने का हवाला देकर हाथ पीछे खींचता आया है।

यहां पर स्थित हैं प्राकृतिक झीलें

हनुमानगढ़ में खेदासरी, मानकथेड़ी, बड़ोपल तथा सूरतगढ़ तहसील में सरदारपुरा खर्था, ठेठार, ताखरांवाली, कानौर, भोजेवाला, रंगमहल, किशनपुरा, टिलांवाली, राजपुरा पीपेरन, ढाढियांवाली, अमरपुरा जाटान, सूरतगढ़ शहर, नांगलिया, सरदारपुरा लाडाना व पदमपुरा के समीप टीलों के बीच प्राकृतिक रूप से ही गहरे स्थान हैं। जो कि घग्घर की झीलों का निर्माण करते हैं। झील रूपी ये स्थल आपस में जुड़े हैं और इनकी भराव क्षमता 7 लाख 35 हजार 799 एकड़ फीट है।
flood

अधिकारियों का रटा रटाया जवाब

घग्घर डिप्रेशनों और चैनलों पर अतिक्रमणों के संबंध में जानकारी ली जाएगी। यह देखा जाएगा कि किस स्तर पर नोटिस जारी हुए और कार्रवाई कहां लंबित है। इसके बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी। – संदीप, सहायक अभियंता, जीएफसी, हनुमानगढ़

Hindi News / Patrika Special / दशकों तक बाढ़ से बचाती रही हैं राजस्थान की ये 18 झीलें, ऐसा क्या हुआ ? डूबने लगे गांव और शहर

ट्रेंडिंग वीडियो