विमल प्रसाद जैन: एक समर्पित क्रांतिकारी
10 अप्रैल 1910 को सिसाना गांव में सेठ बनारसीदास के घर जन्मे विमल प्रसाद जैन ने अपना संपूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। दिल्ली में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त से हुई, जिसके बाद वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एचएसआरए) के गर्म दल से जुड़ गए। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया। सत्येंद्र जैन के अनुसार, विमल प्रसाद ने न केवल योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को असेंबली में प्रवेश कराने में भी सहायता की।
सिसाना में बनी थी बम कांड की योजना
स्थानीय लोग बताते हैं कि 3 अप्रैल 1929 को विमल प्रसाद जैन के सिसाना स्थित घर पर भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, भगवती चरण वोहरा और दुर्गा भाभी ने एक गुप्त बैठक की थी। इस बैठक में असेंबली में बम फेंकने की पूरी कार्ययोजना तैयार की गई। सहारनपुर से लाए गए बमों को विमल के घर में एक विशेष तिजोरी में छिपाकर रखा गया था। अगले दिन, 4 अप्रैल 1929 को इन बमों को दिल्ली ले जाया गया और 8 अप्रैल 1929 को असेंबली में इस योजना को अंजाम दिया गया। इस दौरान विमल प्रसाद जैन और चंद्रशेखर आजाद पिस्तौल लिए असेंबली के बाहर पहरा दे रहे थे। यह जानकारी स्थानीय निवासियों और विमल प्रसाद के परिवार द्वारा पीढ़ियों से संरक्षित ऐतिहासिक विवरणों पर आधारित है।
ऐतिहासिक तिजोरी आज भी है सुरक्षित
विमल प्रसाद जैन के घर में वह तिजोरी आज भी मौजूद है, जिसमें बमों को छिपाया गया था। सत्येंद्र जैन के अनुसार, इस तिजोरी को बाहरी रूप से नया स्वरूप दे दिया गया है, लेकिन इसका आंतरिक हिस्सा आज भी उसी तरह संरक्षित है। तिजोरी के अंदर कच्ची मिट्टी से बनी एक गहरी सुरंग है, जिसमें बमों को छिपाया गया था। उस समय सिसाना गांव के आसपास घना जंगल होने के कारण यह स्थान क्रांतिकारियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना था।
मुल्तान जेल में सहा अंग्रेजों का अत्याचार
असेंबली बम कांड में शामिल होने के कारण विमल प्रसाद जैन को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें मुल्तान जेल में तीन साल की सजा काटनी पड़ी। इस दौरान उन्होंने अंग्रेजों की यातनाओं को सहन किया, लेकिन उनकी देशभक्ति अडिग रही। सत्येंद्र जैन ने बताया कि विमल प्रसाद का यह बलिदान सिसाना गांव के लिए गर्व का विषय है।
सिसाना: एक ऐतिहासिक धरोहर
सिसाना गांव का यह घर और तिजोरी स्वतंत्रता संग्राम की एक जीवंत गाथा है। स्थानीय निवासी और इतिहासकार इस स्थान को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की मांग करते हैं, ताकि यह क्रांतिकारियों के साहस और बलिदान की कहानी को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सके। यह स्थल न केवल बागपत, बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर है।