अब तक 21 वस्तुओं को मिला टैग
बगरू हैंड ब्लॉक प्रिंट, ब्ल्यू पॉटरी जयपुर, ब्ल्यू पॉटरी जयपुर (रेनवाल), कठपूतली, कठपूतली (लोगो), कोटा डोरिया, कोटा डोरिया (लोगो), मोलेला क्ले वर्क, सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, थेवा आर्ट वर्क, मोलेला क्ले वर्क (लोगो), फुलकारी, पोकरण पॉटरी, बीकानेरी भुजिया, मकराना मार्बल, सोजत मेहंदी, पिछवाई कला नाथद्वारा, जोधपुरी बंधेज जोधपुर, कोतगिरी उदयपुर, उस्ता कला बीकानेर, कशीदाकारी क्राट बीकानेर।
जोधपुरी साफा व लहरिया आवेदन प्रक्रिया में
नाबार्ड ने पहले भी राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक और कृषि विरासत को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके तहत जोधपुरी बंधेज, नाथद्वारा पिछवाई चित्रकला, उदयपुर मेटल कोतकला, बीकानेरी उस्ताकला और बीकानेरी कशीदाकारी को जीआइ टैग दिलवाया जा चुका है। इसके अलावा मथानिया मिर्च का जीआइ आवेदन भी स्वीकार हो चुका है, जबकि जोधपुर के साफे और लहरिया के लिए जीआइ आवेदन प्रक्रिया में है।एक नजर : जीरे की बुवाई हेक्टेयर में
वर्ष- बिंजाई- उत्पादन बोरी में2022-23 – 780000- 65 लाख बोरी।
2023-24 – 850000- 55 लाख बोरी।
2024-25 – 1230000- 1.15 करोड़ बोरी। इस बार करीब 11.20 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है। अगर अगले एक महीना तक मौसम अच्छा रहता है तो जीरे की 90 लाख बोरी फसल आने की उम्मीद है।
राजस्थान के जीरे की खासियतें
1- जीरे का आकार बड़ा।2- जीरे का धारीदार व अलग-अलग रंग।
3- जीरे की उम्र लम्बी, 4-5 साल नहीं होता खराब।
4- मिट्टी जीरे के लिए उपयुक्त, जीरे में पाए जाते हैं मिनरल्स।
