कृषि राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने बताया है कि जो किसान समय पर आधार सीडिंग, ई-केवाईसी और अन्य औपचारिकताएं पूरी नहीं कर पाए थे, उनकी किस्तें अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं। अब जैसे ही किसान ये प्रक्रिया पूरी कर लेते हैं, उन्हें रोकी गई सभी किस्तें एक साथ जारी की जाएंगी।
क्यों रोकी गई थीं किस्तें?
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, अगस्त 2022 से नवंबर 2022 (12वीं किस्त) में भूमि सीडिंग (Land Seeding) को अनिवार्य कर दिया गया था। इसके बाद दिसंबर 2022 से मार्च 2023 (13वीं किस्त) तक आधार-बेस्ड पेमेंट जरूरी कर दिया गया। वहीं, अप्रैल से जुलाई 2023 (15वीं किस्त) से ई-केवाईसी को अनिवार्य बना दिया गया। इन तकनीकी बदलावों के कारण कुछ राज्यों में लाभार्थियों की संख्या अस्थायी रूप से कम हो गई। हालांकि मंत्रालय का कहना है कि यह कमी सिर्फ उन राज्यों में अधिक दिखी जिन्होंने समय पर दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया नहीं पूरी की। जिन राज्यों ने तुरंत कदम उठाए, वहां किसानों पर इसका खास असर नहीं हुआ।
किसानों को नहीं होगा नुकसान
सरकार ने साफ किया है कि जिन किसानों की किस्तें रुकी हैं, उन्हें कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा। मंत्रालय के अनुसार किसान जैसे ही अपने दस्तावेज और जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर लेते हैं, उन्हें लंबित किस्तें भी उनके खाते में भेज दी जाएंगी। यानी, किसान को रुकी हुई सभी किस्तों का पैसा एक साथ मिलेगा।
सरकार ने योजना में क्या किया सुधार
PM-Kisan योजना की रकम सीधे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के जरिए किसानों के खाते में भेजी जाती है। इसके लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिले वेरिफाइड डेटा को PM-Kisan पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। योजना की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए सरकार ने कई तकनीकी सुधार किए हैं। इसमें PFMS, UIDAI और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से डेटा इंटिग्रेशन, राशन कार्ड डेटाबेस से मिलान, UIDAI पोर्टल पर मृत्यु के बाद निष्क्रिय किए गए आधार की पहचान और डुप्लीकेट खातों की जांच शामिल है।
किसानों की नाराजगी भी बरकरार
हालांकि, इतने बड़े पैमाने पर लाभार्थियों के हटने को लेकर किसान संगठनों ने नाराजगी जताई है। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल ग्रुप) के अध्यक्ष हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उनका आरोप है कि पहले जहां केंद्र ने राज्य का ग्रामीण विकास फंड रोक दिया था, अब किसानों की आर्थिक मदद पर भी रोक लगाई जा रही है।