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नागद्वार यात्रा का रहस्य, नाग पंचमी पर 12 नाग जोड़ों के दर्शन कर मिलता है मोक्ष

Nagdwar Yatra: मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में 19 जुलाई को शुरू हुई थी नागद्वार यात्रा, नाग पंचमी पर खुलेंगे भगवान शिव के मंदिर के द्वार, यहां रहते हैं 12 नागों के जोड़े, इन्हें भगवान शिव ने दिया था यहीं वास करने का वरदान, पृथ्वी का केंद्र माना जाता है नागद्वार, हर साल उमड़ता है भक्तों का सैलाब, देश-दुनिया से दर्शन करने आते हैं भक्त,सबसे कठिन यात्राओं में से एक है पचमढ़ी की नागद्वार यात्रा (Nagdwar Yatra), पढ़ें संजना कुमार की खास रिपोर्ट…

भोपालAug 05, 2025 / 04:13 pm

Sanjana Kumar

Nagdwar Yatra: सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी में नागद्वार यात्रा का कल यानी 29 जुलाई को अंतिम दिन है। इसके बाद नागद्वार में दर्शन के लिए भक्तों को एक साल का लंबा इंतजार करना होता है। 10 दिवसीय नागद्वार यात्रा 19 जुलाई को शुरू हुई थी। जो नागपंचमी के अवसर पर संपन्न होती है। पहाड़ों की रानी पचमढ़ी में नागद्वार यात्रा एक वार्षिक उत्सव के रूप में मनाई जाती है, यहां 10 दिन तक मेले का आयोजन किया जाता है।

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लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नागद्वार में दर्शन के लिए हर साल इन 10 दिनों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, लाखों की संख्या में भक्त यहां आते हैं। जबकि नागद्वार यात्रा सबसे कठिन यात्राओं में से एक मानी जाती है। ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में सावन के महीने में फिसलन भरे रास्तों से गुजरना मुश्किल होता है, जहां कदम-कदम खतरा है कि जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है, लेकिन भक्तों का उत्साह देखकर यह डर कहीं गुम सा हो जाता है, तस्वीरें इसका हाल बयां करती हैं, कि नागद्वार की यात्रा कितनी दुर्गम है…

सतपुड़ा की पहाड़ियों में गुफा में है भगवान शिव का मंदिर

पहाड़ों की रानी पचमढ़ी सतपुड़ा की पहाड़ियों पर बसा है। इन्हीं पहाड़ियों पर विराजे हैं भोलेनाथ। पहाड़ियों के बीच खींची दरारों से भक्त गुजरते हैं और जान हथेली पर लेकर यहां गुफा में विराजे भगवान शिव के दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं। नागद्वार नागपंचमी के अवसर पर दर्शन के लिए खोला जाता है। इसके लिए यहां 10 दिन तक मेला आयोजित किया जाता है। दर्शन के लिए आने वाले भक्त, मेले का मजा भी लेते हैं।
Naagdwar Yatra 2025 Nag panchami 2025

10 दिन का मेला, नागपंचमी पर ही होते हैं दर्शन


पचमढ़ी की खूबसूरत वादियों में सावन और नागपंचमी का मेला जरूर लगता है, लेकिन यहां नागद्वार में विराजे भगवान शिव के दर्शन केवल एक ही दिन नागपंचमी पर ही किए जा सकते हैं। दरअसल पौराणिक मान्यता के अनुसार नागपंचमी का दिन ही वह दिन है, जब यहां 12 नागों का जोड़ा भगवान शिव के साथ नजर आता है। यही कारण है कि इसी दिन देवों के देव महादेव के दर्शन यहां शुभ माने जाते हैं। इस साल नागपंचमी 29 जुलाई को मनाई जाएगी। ऐसे में आज रात से नागद्वार का द्वार भक्तों के दर्शन के लिए खोला जाएगा।
Nagdwar Yatra 2025 on Nag panchami 2025
Nagdwar Yatra on Nag panchami (Image Source: FB)

नागद्वार यात्रा का रहस्य

माना जाता है कि यह वही स्थान है, जहां स्वयं भगवान शिव ने नागों को वरदान दिया था कि वे इस गुफा में वास करेंगे। मान्यता ये भी है कि 12 नागों के जोड़े यहां नागपंचमी पर एक साथ नजर आ जाते हैं। हालांकि ये केवल आस्था का विषय है, कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने इन 12 नाग के जोड़ों के दर्शन किए हैं, तो कई कहते हैं कि सिर्फ भगवान शिव के ही दर्शन किए हैं।

भक्तों के उत्साह के आगे फीकी पड़ जाती है दुर्गम यात्रा


नागद्वार तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं है। करीब 13-15 किमी तक पहाड़ी रास्ता इतना दुर्गम है कि भक्तों को ऊंची और खड़ी चढ़ाई चढ़नी होती है, पहाडो़ं से गिरते झरने के बीच और पहाड़ी रास्ते में जमा पानी के बीच से गुजरना होता है। पथरीले मोड़, सीढ़ीयों के उतार-चढ़ाव, घने जंगल, पहाड़ों के संकरे रास्ते देखकर एक बार तो डर ही लगता है कि कहीं इनमें फंसे न रह जाएं, लेकिन इतनी कठिन यात्रा को भक्त नंगे पैर पार करते हैं और नागद्वार दर्शन करके ही दम लेते हैं। यही कारण है कि इस यात्रा को मिनी अमरनाथ यात्रा भी कहा जाता है।

रातभर भजन-कीर्तन और फिर दर्शन


नागद्वार में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में होती है। इसलिए यहां दर्शन के लिए नागद्वार के द्वार नागपंचमी की पूर्व संध्या पर ही खोल दिए जाते हैं। भक्त रातभर भजन-कीर्तन करते हुए अपनी बारी का इंतजार करते हैं। नागपंचमी पर दर्शन के लिए खुलने वाले नागद्वार के द्वार नागपंचमी के दिन पूरा दिन और पूरी रात खुले रहते हैं। नागपंचमी के अगले दिन भोर तक दर्शन किए जा सकते हैं।
Nagdwar Yatra 2025 on Nag Panchami 2025
Nagdwar Yatra on Nag Panchami (Image Source patrika.com)

स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ, होमगार्ड संभालते हैं सुरक्षा का जिम्मा


नागद्वार यात्रा के दौरान 10 दिन से लगने वाले मेले और नागद्वार दर्शन के दौरान पूरे पचमढ़ी में भक्तों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी किया जाता है। स्थानीय पुलिस, एसडीएम, तहसीलदार,आर आई, पटवारी, 700 पुलिस जवान, 130 होमगार्ड, 50 आपदा मित्र और 12 एनडीआरएफ कर्मी यहां तैनात किए जाते हैं। रास्ते में कैंप लगाए जाते हैं, जहां भक्त ठहर सकें। ताकि ये दुर्गम यात्रा उनके लिए परेशानी का सबब न बने। इन कैंपों में विश्राम कर भक्त आगे बढ़ते जाते हैं। जिन्हें नागद्वार दर्शन करने हैं, वो यहां रुकते हैं और नागपंचमी पर्व का इंतजार करते हैं। वहीं जो केवल मेले का आनंद लेते हुए बाहर से नही नागद्वार दर्शन करना चाहते हैं, वे यहां थोड़ी देर रुककर थकान उतारते हैं और फिर नागद्वार खुलने से पहले ही बाहर से ही दर्शन कर लौट जाते हैं।

भक्तों को आसानी से मिल जाती है बस की सुविधा


प्रशासन की ओर से यहां भक्तों की सुविधा के लिए बस सुविधा शुरू की जाती है। बसों का किराया निर्धारित किया जाता है, ताकि भक्त जरा भी परेशान न हों। जैसे नागपुर से पचमढ़ी का किराया 338 रुपए, भोपाल से पचमढ़ी तक पहुंचने के लिए 250 रुपए और पिपरिया से जाने वालों को 68 रुपए तक किराया चुकाना होता है।
Nagdwar Yatra 2025 Pachmarhi on Nag Panchami 2025
Nagdwar Yatra Pachmarhi on Nag Panchami
बता दें कि सावन सोमवार में यहां शुरू होने वाला 10 दिवसीय मेला नागपंचमी से 10 दिन पहले ही शुरू हो जाता है। वहीं नागपंचमी के दिन सतपुड़ा के पहाड़ी क्षेत्र में एक गुफा में विराजित होने वाले भगवान शिव के दर्शन के लिए नागद्वार खोला जाता है। इस साल भी नागपंचमी के अवसर पर यहां 50 हजार भक्तों के आने का अनुमान है। इसके लिए प्रशासन ने पहले से ही तैयारियां कर ली हैं। यहां 10 स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं। पीने के पानी, मोबाइल टॉयलेट और प्राथमिक उपचार केंद्र स्थापित किए गए हैं। पूरे मार्ग पर CCTV से निगरानी की जा रही है।
Nagdwar Yatra 2025 on Nag Panchami 2025 Pachmarhi
Nagdwar Yatra on Nag Panchami Pachmarhi(Image Source:FB)

नागद्वार सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में आता है। ऐसे में पर्यावरणीय दृष्टि से देखें तो यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। भक्तों को प्लास्टिक, लाउडस्पीकर और अन्य प्रदूषक सामग्री लाने की अनुमति नहीं है। गाइड्स स्वयंसेवकों का मदद से यात्रा को नियंत्रित करते हैं।
नागद्वार यात्रा अब देश में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में मशहूर हो चुका है। यही कारण है कि एमपी पर्यटन विभाग इसे आध्यात्मिक इको टूरिज्म के रूप में विकसित करना चाहता है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि पचमढ़ी दुनिया के नक्शे पर नई पहचान कायम करेगा।

जानें क्या है 12 नाग के जोड़ों की कहानी

किंवदंती के मुताबिक जब भगवान शिव ने देवताओं और असुरों के बीच संतुलन के लिए नागों को विशेष शक्तियां प्रदान की थीं, तब उन्होंने 12 नागों को पृथ्वी के केंद्र में वास करने का आशीर्वाद दिया था। ये नाग साल में केवल एक ही बार नागपंचमी के दिन नागद्वार में एकत्रित होते हैं। इस गुफा की आकृति भी एक विशाल नागमुख जैसी प्रतीत होती है।

कैसे पहुंचे नागद्वार

-निकटतम रेलवे स्टेशन- पिपरिया(51 किमी)
-बस सेवा- पचमढ़ी तक नियमित सेवाएं
-पैदल यात्रा- पचमढ़ी से नागद्वार तक 7 किमी पैदल यात्रा करनी होती है। बता दें कि इस बार इस आयोजन (Nagdwar Yatra 2025) की लाइव स्ट्रीमिंग की तैयारी भी मध्य प्रदेश सरकार ने की है।
Nagdwar Yatra Pachmarhi on Nag Panchami
Nagdwar Yatra Pachmarhi Nag Panchami

नागद्वार दर्शन करने सबसे ज्यादा भक्त कहां से आते हैं

— नागद्वार यात्रा और नागपंचमी पर दर्शन के लिए सबसे ज्यादा भक्त एमपी के छिंदवाड़ा जिले से आते हैं। विशेष रूप से परासिया, जामर्ड, पांढुर्ना, चौरई जैसे इलाकों से यहां भक्त जत्थों में दर्शन करने पहुंचते हैं। पचमढ़ी के नजदीक होने के कारण और पारिवारिक मान्यताओं के चलते यहां से भक्त नागद्वार की यात्रा पर हर साल निकल पड़ते हैं।
— नागद्वार दर्शन के लिए बैतूल और होशंगाबाद अब नर्मदापुरम से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इन क्षेत्रों की नजदीकी इसका बड़ा कारण है, तो पौराणिक मान्यताएं भक्तों को यहां खींच लाती हैं।
मध्य प्रदेश की सीमा से सटे महाराष्ट्र के कई हिस्सों खासतौर पर नागपुर, अकोला और चंद्रपुर से भक्त यहां पैदल यात्रा कर या फिर बसों के माध्यम से यहां पहुंचते हैं।

— इसके अलावा छत्तीसगढ़ और उत्तरभारत में भी हाल के कुछ वर्षों में नागद्वार यात्रा और दर्शन को लेकर भक्तों में उत्साह नजर आया है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई आदि जगहों से लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं, तो वहीं कुछ श्रद्धालु उत्तर प्रदेश और बिहार से यहां पहुंचने लगे हैं।

नागद्वार में क्यों आते हैं श्रद्धालु


यह यात्रा 13-15 किमी की है, सबसे कठिन और दुर्गम यात्रा 7 किमी की है, जो पहाड़ों के झरने, ऊंची और तीखी या खड़ी चढ़ाई और संकरे रास्तों से होकर गुजरती है। शिवभक्तों की आस्था के आगे ये कुछ नहीं रह जाती। नागद्वार स्थित महादेव की गुफा बेहद प्राचीन और पवित्र मानी जाती है। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से काल सर्प जैसे कई योग स्वत: खत्म हो जाते हैं, वहीं लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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