
करोड़ों खर्च, सुविधाएं गायब..
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत किशनपोल बाजार में स्मार्ट रोड, फुटपाथ, डिवाइडर और यूटिलिटी डक्ट जैसे काम करवाए गए। आंकड़ों के मुताबिक इन पर 17 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुआ। लेकिन वादा किया गया न वाई-फाई मिला, न पर्याप्त पार्किंग बनी, न ही महिलाओं के लिए जरूरी टॉयलेट की सुविधा। करीब एक किलोमीटर लंबे इस बाजार में सिर्फ नमक की मंडी के पास एक टॉयलेट है। महिलाओं को भारी परेशानी होती है, जबकि अधिकारियों ने स्मार्ट टॉयलेट बनाने का वादा किया था। आज तक निर्माण शुरू तक नहीं हुआ।
पार्किंग की समस्या से रोज होते झगड़े..
पार्किंग के अभाव में रोजाना खरीदारों और वाहन चालकों में झगड़े की नौबत आ जाती है। भीड़ के समय सड़कें जाम हो जाती हैं। जिससे व्यापार और ग्राहकों दोनों को नुकसान झेलना पड़ता है। स्मार्ट सिटी के टैग के बावजूद किशनपोल बाजार में आने वालों को गंदगी, अव्यवस्था और बदहाल सुविधाएं ही मिलती हैं।
कई जगह रोड लाइटें बंद, गंदगी जगह जगह
बाजार में कई जगह रोड लाइटें महीनों से बंद पड़ी हैं। सफाई व्यवस्था की हालत यह है कि मुख्य रास्तों और गलियों में गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। निगम कर्मचारी भी मानो इसे स्थायी डंपिंग प्वॉइंट बना चुके हैं।
इनका कहना है…
स्मार्ट बाजार के नाम पर केवल सड़क और फुटपाथ बनाए गए। लेकिन जिन सुविधाओं से लोगों को राहत मिलनी चाहिए थी, वो पूरी तरह नजर अंदाज कर दी गई। सवाल यह है कि जब स्मार्ट सिटी मिशन में करोड़ों रुपये खर्च किए गए, तो आज भी हालात बदतर क्यों हैं ? अगर गंदगी, पार्किंग की कमी और टॉयलेट जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं, तो यह मिशन सिर्फ कागजों में ही स्मार्ट है।किशनपोल बाजार किशनपोल बाजार के हालात पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। सुविधाओं की बात की जाएं तो टॉयलेट तक की कोई व्यवस्था नहीं है। स्मार्ट सिटी के नाम पर स्मार्ट बाजार पर करोड़ो रुपए खर्च कर दिए गए है। लेकिन मूल सुविधाएं आज भी नहीं है।
किशनपोल बाजार