लेकिन चुनाव से पहले कयास लगने लगे हैं कि पवन सिंह कुछ न कुछ तो बड़ा करने जा रहे हैं। क्योंकि उनकी पत्नी ज्योति सिंह पहले ही काराकाट, डेहरी या नबीनगर से इलेक्शन लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं। ऐसे में जानकार मानते हैं कि पवन सिंह के मन में राजनीतिक पारी शुरू करने को लेकर कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही है।
बीजेपी से रहा है पुराना नाता
पवन सिंह का बीजेपी से पुराना रिश्ता रहा है और उन्होंने कई चुनावों में पार्टी के लिए प्रचार किया है। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। उनके मैदान में उतरने से एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था, जबकि महागठबंधन (CPI-ML) के राजाराम सिंह कुशवाहा विजयी रहे थे। दिलचस्प बात यह रही कि पवन सिंह को एनडीए प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा से ज्यादा वोट मिले। राजनीतिक पडितों को तेजस्वी यादव और फिर आरके सिंह से मुलाकात कुछ संकेत दे रही है।
1; क्या हो सकता है आरके सिंह से मुलाकात का मकसद
आरके सिंह, पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी है। ऐसे में पवन सिंह की उनसे मुलाकात महज एक औपचारिकता नहीं दिखती। यह बीजेपी में वापसी के लिए एक बैकडोर बातचीत भी हो सकती है।
2; काराकाट और आस-पास की सीटों पर फोकस
काराकाट लोकसभा सीट पर पवन सिंह की मौजूदगी ने बीजेपी-एनडीए को नुकसान पहुंचाया था। विधानसभा में भी उनका प्रभाव इस बेल्ट में दिख सकता है। अगर बीजेपी उन्हें टिकट देती है, तो यह सीट भाजपा के लिए जीत का हिस्सा होगी।
3; RJD कनेक्शन की अफवाहें
पवन सिंह ने हाल ही में तेजस्वी यादव की तारीफ कर हलचल मचाई थी। लेकिन RJD के किसी बड़े नेता ने अब तक इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी। यह ज्यादा संभावना है कि यह सिर्फ दबाव बनाने की रणनीति हो ताकि बीजेपी से बेहतर डील हो सके।
4; ज्योति सिंह का एंट्री प्लान
पवन सिंह की पत्नी के चुनाव लड़ने की घोषणा इस पूरे सस्पेंस को और दिलचस्प बनाती है। यह या तो फैमिली पॉलिटिकल ब्रांडिंग की शुरुआत है या फिर एक मोलभाव, जिससे किसी पार्टी से एक से अधिक टिकट निकलवाने की कोशिश हो।
5; बीजेपी की दुविधा
बीजेपी पवन सिंह को वापसी का रास्ता देती है तो काराकाट वाली चोट को भूलना पड़ेगा। अगर मौका नहीं देती तो RJD या कोई और दल उन्हें अपने पाले में खींचकर भाजपा को फिर नुकसान पहुंचा सकता है।