घर की कमजोर आर्थिक स्थिति
कमला देवी कहती हैं कि मेरे तीन बेटे मजदूरी करने पाली गए थे, दो लौट आए, लेकिन राजू आज तक नहीं आया। हर बार लगता है कि दरवाजे पर दस्तक होगी और बेटा घर लौट आएगा, लेकिन ये इंतजार सालों में बदल गया। गीता देवी के लिए यह इंतजार और भी कठिन है। पति की गैरमौजूदगी और घर की कमजोर आर्थिक स्थिति ने जीवन को संघर्षमय बना दिया है। सरकारी रिकॉर्ड में पति को जीवित मानने के कारण उन्हें विधवा पेंशन सहित किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।सामाजिक संवेदना का सवाल
यह मामला केवल एक परिवार का निजी दु:ख नहीं, बल्कि समाज और प्रशासन के सामने एक गंभीर प्रश्न भी है। क्या 22 साल बाद भी गुमशुदगी के मामलों में परिजनों को ऐसे ही अनिश्चितता और पीड़ा में जीना पड़ेगा क्या ऐसे मामलों में राहत और पुनर्वास के लिए ठोस नीतियां नहीं होनी चाहिए?इन्होंने कहा
परिवादी ने गुमशुदगी की रिपोर्ट वर्ष 2002 में दर्ज करवाई थी, जो रोजनामचे में ही दर्ज हुई थी। उस समय परिवादी को स्वयं के स्तर पर भी तलाश करने की सलाह दी गई थी। इतने लंबे समय के बाद भी परिवादी ने पुलिस से दुबारा संपर्क कर वर्तमान स्थिति की जानकारी नहीं दी, जिससे मामले में आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी।रामकिशन, थानाधिकारी, सेंदड़ा
रतनसिंह भाटी, सरपंच, सेंदड़ा