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आपकी बात: क्या आप मानते हैं स्कूल-कॉलेजों में मूलभूत कानूनी शिक्षा भी दी जानी चाहिए?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं…

जयपुरMay 07, 2025 / 03:32 pm

विकास माथुर

समाज में बढ़ते अपराधों पर लगेगा अंकुश
स्कूल—कॉलेजों में मूलभूत कानूनी शिक्षा देने से लोकतंत्र की बुनियाद मजबूत होगी। इससे शिक्षा की शुरुआत से ही जिम्मेदारी का बोध हो सकेगा। लोग अपने कर्तव्यों और अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे। समाज में बढ़ते अपराधों को कम किया जा सकेगा।
— दुर्गा शर्मा, लूनकरणसर ( राज.)
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मूलभूत कानूनी शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना अच्छा कदम
प्रत्येक व्यक्ति को देश के कानून के अनुसार काम करना होता है। शिक्षा में मूलभूत कानूनों को शामिल करना अच्छा कदम होगा। इससे वह जीवन में स्वयं तो गलत काम करने से बचेगा साथ ही दूसरों को भी गलत काम करने से रोकेगा। अपराधियों को कानूनी शिकंजे तक पहुंचाने के लिए भी प्राथमिक कानूनों की जानकारी होना आवश्यक है।
— हरिप्रसाद चौरसिया, देवास (मध्यप्रदेश)
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जिम्मेदार नागरिक बनाने में सहायक
वर्तमान युग में कानूनी जागरूकता का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। समाज में घटित होने वाली घटनाएं, अपराध, सामाजिक अन्याय और व्यक्तिगत अधिकारों के हनन को देखते हुए कानूनी साक्षरता आज की आवश्यकता बन गई है। इस संदर्भ में, स्कूल और कॉलेज में मूलभूत कानूनी शिक्षा का समावेश अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्कूल और कॉलेज में मूलभूत कानूनी शिक्षा का समावेश एक सशक्त और जागरूक समाज के निर्माण में सहायक है। यह छात्रों को न केवल कानूनी समझ प्रदान करता है बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने में भी सहायक होता है। इसलिए, कानूनी शिक्षा को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए।
— लेखराज वर्मा केशवपुरा ,कोटा राजस्थान
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अधिकारों और जिम्मेदारियों की समझ
इससे नागरिकों के रूप में जिम्मेदारियों की बुनियादी समझ विकसित करने में मदद मिलती है। कानून के कुछ उद्देश्य होते है जैसे, व्यवस्था बनाए रखना, मानक स्थापित करना, स्वतंत्रता की रक्षा करना और विवादों का समाधान करना । स्कूलों में ही इन बच्चो की नींव तैयार की जाय तो आगे चलकर स्वयं का शोषण होने से रोकेंगे, शोषित की रक्षा करने में समर्थ होंगे।
जो विधार्थी सक्षम है, वो इस क्षेत्र में अपनी अच्छी पकड़ बना कर, देश- विदेश मे ख्याति प्राप्त कर सकेंगे ।
— जगदीप सिंह, आमेट, भीम, राजसमंद
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नाट्य मंचन एवं नुक्कड़ सभा के माध्यम से दें शिक्षा
सरकारी स्कूलों और कॉलेजों विद्यार्थियों को नवीन कानूनी शिक्षा समय-समय पर मिलती रहनी चाहिए। साथ ही क़ानून के अधिकार और शक्तियों के बारे में भी बच्चों को नाट्य मंचन एवं नुक्कड़ सभा के माध्यम से परिचित कराया जा सकता है। इससे विद्यार्थियों में सामाजिक संतुलन एवं नागरिक अधिकारों को ज़िम्मेदारी बखूबी समझ सकेंगें
  • महेश आचार्य, नागौर
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कानूनी शिक्षा के बारे में जागरूकता बढ़े
मूलभूत कानूनी शिक्षा का पाठ्यक्रम नहीं होने के कारण स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थी अपराध के दलदल में फंस जाते हैं। सरकार को कानूनी शिक्षा के बारे में जागरूकता भी बढ़ानी चाहिए। इसके लिए राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं करवानी चाहिए। रिटायर्ड जजों की नियुक्ति करना चाहिए, जो स्कूल-कॉलेजों के विद्या​र्थियों को कानून की सरल शब्दों जानकारी दे सकें। योग्य विद्यार्थी को “न्याय मित्र” बनाया जाए। हर स्कूल-कॉलेजों मे पुलिस के हेल्प लाइन नंबर व अन्य महत्वपूर्ण नंबर जगह-जगह चस्पा किया जाना चाहिए।
—आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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स्कूलों में कानून की बुनियादी जानकारी मिले
स्कूलों और कॉलेजों में कानूनी शिक्षा को जरूर लागू करना चाहिए। बुनियादी जानकारी को स्कूल स्तर पर और एडवांस जानकारी कॉलेजों में दी जानी चाहिए। इससे बच्चों में अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी मिलती है। कानूनी शिक्षा के प्रति सम्मान और समझ दोनों का ही विकास होता है। इससे समाज में होने वाले कानूनों की मर्यादा लांघने वालों में भी कमी होगी। उच्च शिक्षा के दौरान असामाजिक तत्वों पर भी रोक लगेगी। आए दिन लड़कियों के साथ होने वाले दुराचारियों पर भी नकेल कसी जा सकती है।
—निर्मला देवी वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर

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