जवाब देने की नहीं, अब पहले प्रहार की नीति
नितिन गोखले, राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ


पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न केवल जम्मू-कश्मीर की शांति को भंग किया, बल्कि आतंकवाद के बदलते चेहरों को भी उजागर किया। पर्यटकों को निशाना बनाकर आतंकियों ने एक नया और जघन्य दुस्साहस दिखाया, जिसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत की अब तक की सबसे निर्णायक और रणनीतिक कार्रवाइयों में से एक था। ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकी संगठनों और उनके समर्थकों में गहरा भय पैदा किया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की छवि को एक ऐसी शक्ति के रूप में मजबूत किया, जो अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकी ढांचे के ‘सिर’पर सीधा प्रहार था। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और जैश -ए-मोहम्मद जैसे प्रमुख आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया गया, जहां आतंकी खुले तौर पर सक्रिय थे। पिछली कार्रवाइयों, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक या बालाकोट एयर स्ट्राइक ने आतंकी नेटवर्क के बाहरी हिस्सों को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन इस बार भारत ने ‘सांप का सिर काटने’ की रणनीति अपनाई। इस रणनीति ने आतंकियों और उनके पाकिस्तान समर्थकों में गहरा मनोवैज्ञानिक भय पैदा किया।
वर्ष 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद छह साल तक बड़े आतंकी हमलों की अनुपस्थिति इस बात का सबूत थी कि भारत की कार्रवाइयों ने आतंकियों के मन में डर बिठाया था। ऑपरेशन सिंदूर ने इस डर को और गहरा किया, यह साबित करते हुए कि भारत न केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट कर सकता है, बल्कि उनकी पूरी कमांड संरचना को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है। इस ऑपरेशन की उल्लेखनीय विशेषता भारत की बदली हुई सैन्य रणनीति थी। जहां बालाकोट में भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश किया था, वहीं ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अपनी सीमा के भीतर रहकर स्टैंड-ऑफ हथियारों का इस्तेमाल किया। यह रणनीतिक बदलाव न केवल भारत की तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाता है, बल्कि यह भी जाहिर करता है कि भारत बिना अनावश्यक उकसावे के अपने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर सकता है। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान की सैन्य और मनोवैज्ञानिक कमजोरियों को उजागर किया, जिससे उसका आत्मविश्वास डगमगा गया।
यह रणनीति भारत की सैन्य नीति में एक नए युग की शुरुआत है, जहां हम जरूरत के मुताबिक अपनी रणनीतियों को संशोधित और आधुनिक बना रहे हैं। ऑपरेशन के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव चरम पर पहुंच गया। सीजफायर के बावजूद उल्लंघन की कई घटनाएं सामने आईं, लेकिन पाकिस्तान में अब इतनी हिम्मत नहीं कि वह कोई बड़ा दुस्साहस कर सके। भारत की नीति स्पष्ट है- यदि पाकिस्तान शांति बनाए रखता है, तो भारत भी शांति का पक्षधर रहेगा। यह धारणा गलत है कि सीजफायर में अमरीका की कोई बड़ी भूमिका थी। 9 मई को अमरीकी उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने भारतीय हवाई ठिकानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की। जवाब में, भारत ने अपनी सेनाओं को खुली छूट दी, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के आठ हवाई ठिकानों पर हमले किए गए। इन हमलों ने पाकिस्तान में तनाव और भय का माहौल पैदा कर दिया। इसके बाद अमरीका ने पाकिस्तान से बातचीत की पेशकश की और दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत के बाद गोलीबारी रोकने पर सहमति बनी। अमरीकी राष्ट्रपति ने एक्स पर सीजफायर की घोषणा की, लेकिन भारत ने कश्मीर पर अपनी नीति दोहराई कि यह हमारा आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।
भारत ने पाकिस्तान के सामने स्पष्ट शर्त रखी है कि उसे आतंकवाद को समर्थन बंद करने के ठोस सबूत देने होंगे, तभी सिंधु जल संधि जैसे मुद्दों पर कोई बातचीत होगी। भारत ने पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर दिया और अपनी नीति को और आक्रामक बनाया। पाकिस्तान को अब यह सोचना पड़ रहा है कि भारत उसके साथ क्या कर सकता है। इस पूरे घटनाक्रम ने वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को और मजबूत किया और अब कोई भी देश भारत से उलझने से पहले कई बार सोचेगा। ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य कभी पाकिस्तान के टुकड़े करना नहीं था। यह कहना आसान है, लेकिन जमीनी हकीकत को समझना जरूरी है। भारत का मकसद आतंकियों को सबक सिखाना, उनके मन में डर पैदा करना और यह जताना था कि हम उनकी जमीन पर भी उन्हें साफ कर सकते हैं।
पहलगाम की घटना ने यह भी उजागर किया कि आतंकी अब पर्यटकों जैसे नरम लक्ष्यों को भी निशाना बना सकते हैं, जिसके लिए नई सुरक्षा रणनीतियों की जरूरत है। इस घटना ने भारत को अपनी आंतरिक सुरक्षा नीतियों(विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में), को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। ऑपरेशन सिंदूर भारत की रणनीतिक परिपक्वता, सैन्य ताकत और कूटनीतिक दृढ़ता का प्रतीक है। यह ऑपरेशन न केवल आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत कदम है, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। आने वाले वर्षों में इस ऑपरेशन का प्रभाव और स्पष्ट होगा, जब पाकिस्तान को यह अहसास होगा कि भारत की नीति अब सिर्फ जवाब देने की नहीं, बल्कि पहले प्रहार करने की है। यह ऑपरेशन भारत के उस संकल्प को रेखांकित करता है कि वह अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक जिम्मेदार और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और सुदृढ़ करने के लिए तैयार है।
वहीं पहलगाम हमले ने यह भी सिखाया कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी आंतरिक और बाहरी नीतियों में और समन्वय लाना होगा। पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ, स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग को और मजबूत करना होगा। इसके अलावा, भारत को अपनी कूटनीतिक रणनीति को और तेज करना होगा ताकि वैश्विक समुदाय में पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए और अलग-थलग किया जा सके।
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