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‘विराट’ बल्लेबाजी का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास

विराट उन्हीं कुछ विशिष्ट खिलाडिय़ों की श्रेणी में शुमार आला दर्जे के बल्लेबाज हैं, जिन्हें हमेशा सम्मान के साथ देखा जाता रहेगा-ऑल टाइम ग्रेट्स के रूप में।

जयपुरMay 12, 2025 / 08:59 pm

Hari Om Panjwani

Virat Kohli

Virat Kohli

भारतीय क्रिकेट के लिए यह सप्ताह इस दृष्टि से मायूस करने वाला है कि दो दिग्गज टेस्ट क्रिकेट के परिदृश्य से हट गए हैं। पहले कप्तान रोहित शर्मा ने इससे संन्यास लिया तो अब विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। वैसे तो हर खिलाड़ी के जीवन में यह मुकाम आता है जब उसे अपनी पारी को विराम देना होता है। लेकिन, इन सभी में कुछ ऐसे होते हैं जिनका जाना असामान्य ही कहा जाना चाहिए। विराट उन्हीं कुछ विशिष्ट खिलाडिय़ों की श्रेणी में शुमार आला दर्जे के बल्लेबाज हैं, जिन्हें हमेशा सम्मान के साथ देखा जाता रहेगा-ऑल टाइम ग्रेट्स के रूप में।
कभी डॉन ब्रेडमैन नेे हमारे सचिन तेंदुलकर के लिए कहा था कि वे सचिन की बल्लेबाजी में अपनी झलक देखते थे, तो विवियन रिचर्डस जब विराट कोहली को बल्लेबाजी करते देखते थे तो उन्हें अपना खेल याद आ जाता था। और विव रिचर्डस की बल्लेबाजी क्या थी? आक्रामक, विध्वंसक, जुझारू और इनके साथ ही इतनी कलात्मक भी कि देखने वाले सोचें कि इसे देखते ही रहें और यह कभी खत्म ही न हो। विराट ने इसे जल्दी खत्म भी नहीं होने दिया। 123 टेस्ट मैचों तक उन्होंने देश दुनिया के दर्शकों को आनंदित और क्रिकेट को गौरवान्वित किया। विराट कोहली क्या रहे हैं, इसे महसूस ब्रायन लारा की ताजा प्रतिक्रिया से किया जा सकता है जो उन्होंने विराट के संन्यास का विचार सामने आने के बाद की। लारा ने विराट से अपील की कि वे टेस्ट क्रिकेट नहीं छोड़े, टेस्ट क्रिकेट को उनकी अभी भी बहुत जरूरत है। टेस्ट क्रिकेट को ऐसे खिलाड़ी की आवश्यकता क्यों न होगी जो कि उसकी शान रही है। दुनिया में ऐसे कितनेे खिलाड़ी हैं, जो पहले दिन से अपनी टीम की धुरी और दूसरी टीमों की आंखों की किरकिरी रहे हैं। इनमें भी विराट कोहली जैसी विश्वसनीयता वाले खिलाड़ी तो और भी विरले होते हैं। दूसरी टीमें सबसे पहले यही सोचती थी कि विराट को मैदान से कैसे जल्दी चलता किया जाए। इसके लिए रणनीति बनाती थीं और कई-कई बार नाकाम होती थीं। वे क्रीज पर रहते तो टीमें उनसे खौफ खाती थीं। उनकी इस खासियत का उल्लेख करना बहुत जरूरी है कि वे लक्ष्य का पीछा करने में मास्टर रहे। खेल और मैच पर किस तरह नियंत्रण किया जाता है, यह विराट को देखकर जाना जा सकता है। देश के लिए विराट का यह योगदान अमूल्य है, इसके बावजूद यह इतना ही नहीं है। विराट का नाम एक कप्तान और साथी खिलाड़ी के तौर पर टीम को दिए गए जज्बे के लिए भी लिया जाएगा। भारतीय टीम सिर्फ इसलिए मजबूत नहीं है कि उसके पास धुरंधर खिलाडिय़ों की फौज है, बल्कि इसलिए भी है कि टीम में जूझने और संघर्ष करने का जज्बा कूट कूट कर भरा हुआ है।
सौरव गांगुली के युग से आगे बढक़र महेंद्र सिंह धोनी और उसके बाद विराट कोहली ने इस जज्बे की गंगा को बखूबी प्रवाहित किया। विराट का यह खेल, उनकी विशिष्टताएं क्रिकेट प्रेमियों के दिलो दिमाग पर हमेशा अंकित रहेंगे। यह अच्छी बात है कि एक दिवसीय क्रिकेट में अभी वे सक्रिय हैं। क्रिकेट प्रेमियों को कुछ और समय विराट की बल्लेबाजी का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा।

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