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सैन्य ताकत: हर मोर्चे पर घिरते पाकिस्तान की बढ़ती मुश्किल

-डॉ. अमित सिंह
(एसो. प्रोफेसर, राष्ट्रीय सुरक्षा विशिष्ट अध्ययन केंद्र, जेएनयू, नई दिल्ली)

जयपुरMay 05, 2025 / 04:53 pm

विकास माथुर

भारत एवं पाकिस्तान के संबंधों पर अधिकांश लोग (दार्शनिक रूप से) इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों को ‘कभी खुशी-कभी गम’ के रूप में वर्णित किया जा सकता है। यह शायद एक अति उदार आकलन है, क्योंकि दोनों देशों के संबंधों की नियति को वर्णित करने के लिए, जो वाक्यांश अत्यधिक उपयुक्त लगता है वह है- ‘थोड़ी भी नहीं खुशी, सिर्फ गम ही गम!’ 22 अप्रेल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम के पास स्थित बैसरन में आतंकियों ने जो बर्बरता की है, उससे सिर्फ भारत ही नहीं, पूरा विश्व गुस्से में हैं।
पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने पर्यटकों की धर्म चिह्नित कर हत्या की। इस नरसंहार के बाद भारत ने कमर कस ली है कि वह पाकिस्तान पोषित आतंकवाद एवं उसके संरक्षकों को न सिर्फ माकूल जवाब देगा, बल्कि उनको नेस्तनाबूद कर देगा। उसके बाद से बौखलाया पाकिस्तान लगातार परमाणु हमले की धमकी दे रहा है। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान की कलई खोलती हुई एक रिपोर्ट आई है, जो कि स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की है। उसके मुताबिक वर्ष 2024 में भारत का सैन्य खर्च 1.6 फीसदी बढ़कर 86.1 बिलियन डॉलर यानी 7.19 लाख करोड़ रुपए हो गया है। वहीं पाकिस्तान का सैन्य खर्च 10.2 बिलियन डॉलर यानी 85,170 करोड़ रुपए ही रहा। 28 अप्रेल को जारी ‘ट्रेंड्स इन वल्र्ड मिलिट्री एक्सपेंडीचर 2024’ रिपोर्ट के मुताबिक भी भारत अपनी सेना पर पाकिस्तान से नौ गुना ज्यादा पैसा खर्च कर रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सैन्य खर्च करने वाले दुनिया के टॉप पांच देश अमरीका, चीन, रूस, जर्मनी और भारत हैं, जबकि पाकिस्तान 29वें नंबर पर आता है।
कई जानकारों का मानना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के मध्य युद्ध हुआ तो पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ेगी, वह बर्बाद हो जाएगा। वैसे ही उसकी अर्थव्यवस्था कंगाली के दौर से गुजर रही है और जिस प्रकार से पाकिस्तान लगातार आइएमएफ से और विश्व के कई देशों से पैसा मांग रहा है, ऐसे में वह कितने दिन तक भारत से युद्ध में टिक पाएगा, यह भी बड़ा सवाल है। ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान की आर्मी युद्ध के लिए तैयार नहीं है। पाकिस्तान के कई राजनेताओं ने, मिलिट्री के बड़े अधिकारियों ने अपने परिवार को युद्ध के मद्देनजर विदेश भेज दिया है। यहां तक कि सेना के कई बड़े आला अफसरों ने फौज के पदों से इस्तीफा दे दिया है। वह युद्ध लडऩा नहीं चाहते हैं और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर भी गायब है। उधर, बलूचिस्तान के लोग आजादी की मांग कर रहे हैं, अफगानिस्तान ने भी डूरंड लाइन को मानने से इनकार कर दिया है और पाकिस्तान का उससे सीमा विवाद चल रहा है तथा आए दिन अफगानिस्तान का तालिबानी शासन भी पाकिस्तान पर हमला करता रहता है। पाकिस्तान के इलाके स्वात, खैबर पख्तूनखवा में भी लोग पाकिस्तान की सरकार और सेना को मान्यता नहीं देते। ऐसे में अगर भारत उस पर हमला करता है तो पाकिस्तान बहुत दिनों तक युद्ध में नहीं टिक पाएगा।
इधर, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को अमरीका, रूस, इजरायल समेत विश्व के लगभग सभी देशों का समर्थन मिल रहा है। वैसे भी पिछले कुछ समय से भारत की सरल एवं विश्वसनीय कूटनीति के कारण पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया है और पहलगाम की घटना के बाद तो हर जगह उसका विरोध हो रहा है। यहां तक की कई प्रमुख मुस्लिम राष्ट्र भी भारत के साथ आ गए हैं। अब बस चीन, तुर्की और इक्का-दुक्का राष्ट्र ही कुछ हद तक पाकिस्तान के साथ संयुक्त राष्ट्र में खड़े होते हुए नजर आए, हालांकि भारत ने वहां भी इसका करारा जवाब दिया। चीन के साथ भी भारत की बातचीत लगातार जारी है और हो सकता है कि चीन भी पाकिस्तान का साथ छोड़ दे। हालांकि चीन कई बार यह कहता नजर आया है कि पाकिस्तान उनका ‘ऑल वेदर फ्रेंड है’ और किसी भी हमले पर वह पाकिस्तान के साथ ही खड़ा नजर आएगा।  अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने पहलगाम के हमले के बाद पाकिस्तान पर लगातार कूटनीतिक दबाव बनाया है और साथ ही इतिहास में भारत ने पहली बार पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी पर हुए समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया। जिसके माध्यम से सिंधु नदी का पानी जिस स्वच्छंद तरीके से पहले पाकिस्तान जाया करता था, अब नहीं जा सकेगा। लेकिन अभी सिंधु नदी का पानी पूर्णतया बंद करने में भारत को अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर भी इस काबिल बनाना पड़ेगा।
सिंधु नदी प्रणाली- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज – पाकिस्तान का मुख्य जल स्रोत हैं। पाकिस्तान की खेती की 80 प्रतिशत भूमि सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है। पाकिस्तान में सिंधु नदी के लगभग 93 प्रतिशत पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है, जो देश की कृषि रीढ़ को शक्ति प्रदान करता है और कुल मिलाकर देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 25 फीसदी का योगदान देता है। पाकिस्तान बिजली, पीने का साफ पानी आदि के लिए सिंधु नदी पर आश्रित है। पाकिस्तान में पिछले कई समय से पीने के पानी का अभाव है और ऐसे में सिंधु नदी के पानी का समझौता स्थगित किया जाना उनको पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसा देगा। ऐसे में देखना यह होगा कि पाकिस्तान किस प्रकार से सिंधु नदी के जल के बिना अपनी जनता का भरण पोषण करता है। हालांकि पाकिस्तान ने यह कहा है कि सिंधु नदी के पानी को रोकना उन पर हमला माना जाएगा और वह इसका जवाब देगा। उधर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पीएम शहबाज शरीफ को नसीहत दी है कि वह कूटनीतिक तरीकों से भारत से इस मुद्दे पर बातचीत करें और शांतिपूर्ण तरीके से इस विषय को निपटाएं। इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। जानकारों का मानना है कि सिंधु नदी के माध्यम से ही भारत पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकता है, इसलिए आने वाले दिन पाकिस्तान के लिए बहुत ही संकट भरे होंगे।

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